Tue. Nov 5th, 2024
    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

    ईरान के तनाव में वृद्धि के साथ ही बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिपंग ने सऊदी अरब के बादशाह सलमान से फ़ोन पर बातचीत की थी। रियाद का क्षेत्रीय शत्रु ईरान है और तेहरान ने वैश्विक ताकतों से साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि की कुछ प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने का ऐलान किया है।

    चीन के ईरान और सऊदी अरब दोनों मुल्कों के साथ काफी नजदीकी कारोबारी और ऊर्जा के सम्बन्ध है, इसलिए चीन एक महीन रेखा के तौर पर खुद को आंकता है। विश्व में चीन का पारम्परिक तौर पर अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के मुकाबले काफी कम बोलबाला था।

    चीनी विदेश मंत्री ने शी और सलमान की बातचीत में ईरान का जिक्र नहीं किया था और राष्ट्रपति के बयान में द्विपक्षीय समझौते को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित था। शी जिनपिंग ने साल 2016 में ही ईरान और सऊदी अरब की यात्रा की थी और इसके बदले बादशाह सलमान ने साल 2017 में चीनी यात्रा की थी।

    शी ने सलमान से कहा कि “चीन के सऊदी के साथ सभी रणनीतिक साझेदारियों को मज़बूत करने की योजना बनायीं है, विशेषकर ऊर्जा के सहयोग के क्षेत्र में है।” बयान के मुताबिक, सऊदी अरब ने चीन-अरब सम्बन्धो का प्रचार करने के चीनी सक्रीय प्रयासों की सराहना की है। साथ ही चीन और इस्लामिक मुल्कों के साथ सम्बन्धो के विकास की भी सराहना की है।

    बयान के मुताबिक, चीन के मूल हितो और प्रमुख चिंताओं पर सऊदी अरब के उद्देश्य और निष्पक्ष स्वरुप की चीन सराहना करता है। सऊदी अरब के राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और स्थिरता के सऊदी के प्रयासों का चीन समर्थन करता है। साथ ही आर्थिक परिवर्तन और बेहतर विकास हासिल करने का भी चीन समर्थन करता है।

    ईरान ने वैश्विक ताकतों के साथ हुई परमाणु संधि से आंशिक रूप से बाहर निकलने का ऐलान किया था। अगर देशों ने अमेरिका के प्रतिबंधों के मुक्ति नहीं दिलाई तो और कार्यवाही का खतरा बरक़रार है। साल 2015 की संधि ईरान,रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के बीच हुई थी। इस दौरान ईरान प्रतिबंधों को हटाने के बदले परमाणु कार्यक्रम को सिमित करने के लिए राज़ी हो गया था।

    अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों ने डोनाल्ड ट्रम्प के समझौते से नाता खत्म करने के निर्णय का विरोध किया था। बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “यह संधि पूर्ण रूप से और प्रभावी तौर पर अमल में लायी जानी चाहिए।” चीन ने ईरान के संधि को अमल में लाने की प्रक्रिया को मंज़ूरी दी है और अमेरिका के एकपक्षीय प्रतिबंधों का विरोध किया है।

    उन्होंने कहा कि “इस विस्तृत समझौते का संरक्षण और अमल मे लान सभी पक्षों की जिम्मेदारी है। हम सभी पक्षों से संयमता दर्शाने और बातचीत के स्तर को बढ़ाने की मांग करते हैं, साथ ही तनाव को न बढ़ाने का आग्रह करते हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *