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    उत्तर कोरिया

    उत्तर कोरिया (North Korea) की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी ने ईरान (Iran) के प्रति अमेरिका (America) के दोषपूर्ण रवैये अख्तियार करने की आलोचना की है। यह रिपोर्ट्स दक्षिण कोरियाई मीडिया में रविवार को प्रकाशित हुई थी। कोरियाई सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी ने कहा कि “अमेरिका ने ईरान की कंपनी पर हाल ही में प्रतिबंधों को थोपा है।”

    वांशिगटन ने बगैर किसी शर्त के तेहरान को वार्ता का प्रस्ताव दिया था। अमेरिका ने हाल ही में पर्शियन गल्फ पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज कंपनी पर प्रतिबन्ध लगाए थे। यह ईरान का सबसे बड़ा पैट्रोकेमिकल समूह है और इस समूह पर इस्लामिक रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प को समर्थन मुहैया करने के आरोप थे। अमेरिका ने ईरान की सेना पर अप्रैल में विदेशी  आतंकवादी समूह का ठप्पा लगा दिया था।

    ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया कि अमेरिका ने वार्ता की पेशकश वास्तविकता में नहीं की थी। वियतमान में दूसरे शिखर सम्मेलन की विफलता के बाद अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। दोनों देशों के परमाणु निरस्त्रीकरण की वार्ता की तरफ बढ़ने की सम्भावना है।

    यह शिखर सम्मेलन बगैर किसी समझौते के समाप्त हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच प्रतिबंधों से रियायत को लेकर मतभेद नहीं सुलझ पाए थे। उत्तर कोरिया चाहता था कि अमेरिका परमाणु निरस्त्रीयकरण की तरफ कदम बढ़ाने के बदले प्रतिबंधों से निजात दे।

    अमेरिका अपने मत पर कायम रहा कि बगैर परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रतिबंधों से आज़ादी मुमकिन नहीं है। अमेरिका ने वार्ता की शुरुआत की दरख्वास्त की है।

    यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्योंगयांग ने वार्षिक 500000 बैरल के आयात को अनुमति दी है। इस मामले से सम्बन्धी यूएन के कूटनीतिज्ञ ने बताया कि “उत्तर कोरिया के ध्वज वाले टैंकर से कम से कम आठ अवैध जहाज से जहाज का ट्रांसफर किया गया था।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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