अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। ईरान में नियुक्त अमेरिका राजदूत ने कहा कि “यदि ईरान वांशिगटन के हितो पर हमला करेगा तो उसे सैन्य ताकत से जवाब दिया जायेगा। तेहरान से अज्ञात खतरे पर चर्चा के लिए सऊदी अरब ने मेक्का में अरब नेताओं की बैठक का आयोजन किया है।
अमेरिका के ईरान में विशेष प्रतिनिधि ब्रायन हुक ने कहा कि “खाड़ी क्षेत्र में अब तक की गई अमेरिकी कार्रवाइयों से ईरानी शासन के जोखिम आंकड़ों पर वांछित निवारक प्रभाव पड़ा है।” अमेरिका की सेना ने खाड़ी में एक युद्धपोत और बी-52 बमवर्षक की तैनाती की है।
सऊदी अरब की पाइपलाइन पर ड्रोन से हमले और यूएई के तट पर चार जहाजों को क्षतिग्रस्त होने के बाद मेक्का में गुरूवार को अरब नेताओं की बैठक बुलाई गयी थी। सऊदी अरब ने इस हमले का आरोपी ईरान को ठहराया है जबकि ईरान ने इसमें शामिल होने के आरोपों का खंडन किया है।
अमेरिका ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों से अधिकतम दबाव अभियान की शुरुआत की हैं जिसका मकसद तेहरान के तेल रेवेन्यू को शून्य करना है और अन्य आफरथिक गतिविधियों की कमर तोड़नी है। यह क्षेत्र में तेहरान की नीतियों को बर्बाद करने की कोशिश है।
चीन और भारत द्वारा ईरानी तेल के निर्यात के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि “ईरान से तेल खरीदने के लिए कोई और रिआयत नहीं दी जाएगी। मई में रिआयत के खत्म होने के बाद जो भी देश ईरानी तेल की सौदेबाज़ी करेगा उसे प्रतिबंधों का सामना करना होगा।”
बोल्टन ने आरोप लगाया कि संयुक्त अरब अमीरात के तट पर चार जहाजों पर ईरान ने आक्रमण किया था। उन्होंने कहा कि “वांशिगटन में किसी के दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि इस हमले का कोई जिम्मेदार कौन है।” इसकी प्रतिक्रिया पर जवाब में अब्बास मौसवी ने कहा कि “अमेरिका की तरफ से ऐसे हास्यास्पद दावे कोई अजीब नहीं है।”