अमेरिका के प्रशासन ने हाल ही में ईरान की सेना को विदेशी आतंकी सेना का आधिकरिक दर्जा दिया था। ईरान ने आज भड़काऊ कदम उठाते हुए मध्य एशिया में सभी अमेरिकी सैनिकों को आतंकवादी घोषित कर दिया है। इस मसले पर देश के रक्षा मंत्री ने प्रस्ताव पेश किया था जिस पर सांसदों ने मोहर लगा दी है।
ईरान के कुछ राजनेता सम्पूर्ण अमेरिकी सेना को आतंकी दर्जा देना चाहते थे न कि सिर्फ इस क्षेत्र में तैनात सेना को। ईरान की प्रतिक्रिया काफी खराब हो सकती है। डोनाल्ड ट्रम्प का बीते सप्ताह किये गए हमले का जवाब ईरान ने इस कदम से दिया है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 8 अप्रैल को ऐलान किया कि “वह इस्लामिक रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को एक विदेश आतंक संगठन में शामिल करता हूँ। ईरान पर इस सुरक्षा और सैन्य संगठन का काफी प्रभुत्व है क्योंकि यह सरकार के संरक्षण और उत्तरजीविता के लिए जिम्मेदार होती है।
आईआरजीसी सिर्फ एक सैन्य संगठन नहीं है बल्कि इसके हाथ ईरान की अर्थव्यवस्था, घरेलू राजनीति, विदेश नीति, सरकार को सहायता और सीरिया, इराक, लेबनान और अन्य मध्य एशिया के गुटों को मदद मुहैया करने के क्षेत्रों में भी पूरी तरह डूबे हुए हैं।
ईरानी सेना खुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर देखती है जो वाकई में देश की इस्लामिक प्रणाली शासन की रक्षा कर सकती है। इसमें कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है कि ईरान डोनाल्ड ट्रम्प के कदम का विरोध करेगा और इसका प्रतिकार लेगा। इसके आलावा अमेरिका ने ईरान और आईआरजीसी के अन्य सदस्यों पर पहले ही प्रतिबन्ध थोप रखे हैं।
ईरान ने इससे पहले ही मध्य एशिया में तैनात अमेरिकी सैनिको पर हमले कर उनकी हत्या की है इसलिए अमेरिका की सेना को कुचलने के लिए ईरान इससे अधिक नहीं कर सकता है। यानी इस कदम से वाकयुद्ध बढ़ने के आसार है हालाँकि तनाव के बढ़ने से जंग की नौबत आने से सब डर हुए हैं।

