ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने गुरूवार को कहा कि “अमेरिका के समक्ष ईरान समर्पण नहीं करेगा और उन पर हमले के बावजूद अपने लक्ष्यों को नहीं त्यागेगा। अमेरिका के क्रूर प्रतिबंधों को थोपे हुए एक साल से अधिक समय व्यतीत हो चुका है। अपने जिंदगियों में परेशानियों से जूझने के बावजूद उनकी आवाम कभी दबाव के भार से नहीं झुकी है।”
रायटर्स के मुताबिक उन्होंने कहा कि “हमें प्रतिरोध की जरुरत है ताकि अगर दुश्मन हमारी सरजमीं पर तो उसे उसे मालूम रहे कि हमारे बच्चों की मृत्यु हुई या वह जख्मी या कैदी बनाये गए तो हम अपने देश की आज़ादी और हमारे गौरव के लिए अपने लक्ष्यों को नहीं त्यागेंगे।”
एक दिन अहले रेवोलूशनरी गार्ड्स कमांडर मेजर जनरल घोलमालि रशीद ने कहा था कि ईरान की प्रतिरोध की भावना के कारण अमेरिका और उसके सहयोगी ईरान पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं।” अमेरिका की सेना ने मध्य पूर्व में सैन्य बलों की मौजूदगी में काफी इजाफा किया है।
साथ ही अमेरिका ने यूएई के फ़ुजैराह द्वीप में बी-52 बमवर्षक और युद्धपोत की तैनाती के आदेश दिए थे ताकि ईरान के कथित खतरे से निपटा जा सके। विश्व के सबसे महत्वपूर्व रणनीतिक जलमार्ग पर्शियन गल्फ में अधिक सैनिको की तैनाती की गयी है। हाल ही में अमेरिका के ख़ुफ़िया विभाग के दावों के मुताबिक, तस्वीरो में ईरान छोटी पारम्परिक नावो में मिसाइल लोड करता दिख रहा है।
अमेरिका और ईरान के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव चरम पर है। अमेरिका ने साल 2015 ईरान और अन्य वैश्विक तकरो के साथ हुई परमाणु संधि की बीते वर्ष तोड़ दिया था। इसके बाद सभी प्रतिबंधों को ईरान पर वापस थोप दिए थे। पेंटागन ने शुक्रवार को पेट्रियट मिसाइल रक्षा बैटरी और नौसैन्य जहाज को मध्य पूर्व में तैनात करने के आदेश दिए थे।