ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “वह अमेरिका के साथ वार्ता के इच्छुक है लेकिन मौजूदा हालातो ने नहीं करेंगे। मौजूदा स्थिति बातचीत के अनुकूल नहीं है और हमारा चयन सिर्फ प्रतिरोध है।” डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को ईरान को धमकाया था कि यदि उसने मध्य पूर्व में अमेरिका के हितो पर आक्रमण किया तो उसका सामना विशाल सेना से होगा।
डोनाल्ड ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा था कि “मेरे ख्याल से ईरान कुछ करता है तो वह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। अगर वह कुछ भी करता है तो उनका सामना एक विशाल सेना होगा लेकिन इसके कोई संकेत नहीं कि वह ऐसा करेंगे।” उन्होंने कहा कि “जब भी ईरान तैयार हो वह बातचीत के तैयार होंगे।”
हाल ही में दो अमेरिकी सूत्रों ने कहा था कि अमेरिका को शिया चरमपंथियों पर शक है कि ईरान ने रविवार को अमेरिका के नजदीक दूतावास में राकेट लांच किया था। सूत्रों ने कहा कि अमेरिका अभी भी प्रयास कर रहा है कि रविवार को दागा गया कत्यूषा राकेट किस क्षेत्र से दागा गया था।
यह रॉकेट ग्रीन जोन में गिरा था जहां सरकारी इमारते और दूतावास है लेकिन किसी हताहत की कोई सूचना नहीं है। अमेरिका को यकीन है कि हालिया क्षेत्रीय हमलो को ईरान से प्रभावित होकर अंजाम दिया गया था। ईरान ने बीते हफ्ते हुए हमले में शामिल होने की शंकाओं को खारिज कर दिया है और ईरान के इराकी सहयोग ने रविवार को हुए रॉकेट हमले की निंदा की है।
दो सऊदी के जहाजों सहित रविवार को यूएई के जलमार्ग पर चार टैंकर रहस्मय तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके बाद मंगलवार को ड्रोन से सऊदी की तेल पाइपलाइन पर हमला किया गया था जिसकी जिम्मेदारी यमन के हूथी विद्रोहियों ने ली थी।
अमेरिका ने क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी को मज़बूत कर लिया है। उन्होंने वहां बी-52 बमवर्षक की तैनाती की है।