ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार को एक नए बिल पर हस्ताक्षर किए है जिसके मुताबिक अमेरिका की समस्त सेना को मिडिल ईस्ट में आतंकवादी करार दिया है। उन्होंने अमेरिका को आतंकवाद का प्रायोजक करार दिया है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ऐलान के खिलाफ पिछले हफ्ते इस बिल को सदन में पारित किया था। अमेरिका ने ईरान की रेविलुशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकवादी संगठन का दर्जा दे दिया था।
हालांकि इसके बाबत स्पष्ट नही है कि इस नए कानून से अमेरिका की सेना के अभियान पर क्या प्रभाव होगा। हसन रूहानी ने खुफिया विभाग, विदेश मंत्रालय, सैनिको और ईरान की सुप्रीम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को इस कानून को लागू करने के निर्देश दे दिए हैं।
इस बिल में विशेषकर अमेरिकी सेंट्रल कमांड को आतंकी संगठन में शामिल किया गया है। जो मिडिल ईस्ट और अफगानिस्तान में अमेरिका के सैन्य अभियानों के लिए जिम्मेदार होती है।
अमेरिका ने कई संगठनों और व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट कर रखा है। रूहानी ने मंगलवार को कहा कि वह अमेरिका के दबाव के बावजूद विश्व भर में तेल आयात करने वाले देशों को खोजेगा। क्योबकी अमेरिकी प्रतिबंधों का मकसद ईरानी तेल के निर्यात को शून्य करना है।
बीते वर्ष अमेरिका ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। इसके बावजूद ईरानी सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए निरंतर प्रतिबन्ध थोपता रहता है।
हाल ही में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने रविवार को कहा कि “तेहरान परमाणु अप्रसार संधि से अपना नाम वापस ले लेगा और यह अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद काफी मौजूद विकल्पों में से एक है।”