ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने अमेरिका पर बोलते हुए कहा कि “उनकी मध्य पूर्व योजना इस्लामिक दुनिया के साथ विश्वासघात है।” अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके दामाद व सलाहकार जारेड कुशनर इस योजना का खुलासा 24-25 जून को बहरीन में आयोजित शान्ति से समृद्धता सम्मेलन में करेंगे।”
ईरान के सर्वोच्च नेता ने बुधवार को कहा कि “यह योजना मुस्लिम देश के साथ विश्वासघात है और इस सम्मेलन का मकसद फिलिस्तीनियों के खिलाफ अमेरिका की दुष्ट, विश्वासघाती और दोषपूर्ण नीति है। जिसे अमेरिका शताब्दी की योजना कहता है।”
इस योजना का मकसद फिलिस्तीन और इजराइल के बीच दशकों के संघर्ष को खत्म करना है। इजराइल के यहूदी और फिलिस्तीन के अरब दोनों इस क्षेत्र पर दावा करते हैं। इजराइल के खिलाफ फिलिस्तीन एक अलग स्वायत्त राज्य के लिए प्रदर्शन करते हैं।
अटकलो के अनुसार आगामी योजना में द्वी राज्य समाधान नहीं है जिसका कई देश प्रचार कर रहे थे। बीते महीने जारेड कुशनर ने कहा था कि अमेरिका शायद लम्बे समय से फिलिस्तीन के साथ द्वी राज्य समाधान से खुद को पीछे खींच सकता है। फिलिस्तीन अभी भी खुद शासन चलाने के योग्य नहीं है।”
कई विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिका अपने मित्र इजराइल के हितो को ध्यान में रखते हुए इस योजना को बना रहा है। फ्रांस के अमेरिका मे पूर्व राजदूत गेरार्ड अरौद ने दावा किया कि “अमेरिका की इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष शान्ति योजना उसके बेहद करीब है जो इजराइल चाहता है, इसके 99 फीसदी विफल होने के आसार है।”
अधिकतर अरब देशों ने अमेरिका की योजना का विरोध करने के संकेत दिए हैं, क्योंकि यह शायद इजराइल के पक्ष में होगी और फिलिस्तीन के मांगो को नज़रअंदाज़ करेगी। बीते हफ्ते इस्लामिक सहयोग संगठन की मुलाकात के दौरान 57 सदस्यीय वाले इस समूह ने ऐसे सभी शांति प्रस्तावों को ख़ारिज किया था जिसमे फिलिस्तीन के अधिकारों की पुष्टि न हो।
सऊदी अरब और यूएई ने इस सम्मेलन में शामिल होने पर रज़ामंदी दी है। सुप्रीम नेता ने सऊदी अरब और बहरीन पर अमेरिका के मुस्लिम विरोधी योजना को समर्थन करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि “यह अमेरिकियों की बैठक है लेकिन बहरीन इसकी मेज़बानी कर रहा है और इसका कारण उनकी कमजोरी और मुस्लिम विरोधी व गैर प्रख्यात स्थिति है।”