ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सोमवार को कहा कि “तेहरान के खिलाफ अमेरिका के आर्थिक आतंकवाद का विरोध यूरोपीय संघ को करना चाहिए और साल 2015 परमाणु संधि के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करा चाहिए।” अमेरिका ने इस संधि से खुद को पीछे खींच लिया है लेकिन इसका प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता और शेष देशों पर पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि “अगर ईयू इस संधि से ईरान व ईयू के फायदे को बरक़रार रखना चाहता है, साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता हुए शांति को कायम रखना चाहता है तो उन्हें इस संधि के बचाव के लिए प्रैक्टिकल कदम उठाने होंगे।” उन्होंने यह बयान जर्मनी के विदेश मंत्री हैको मॉस की तेहरान में मुलाकात के दौरान दिए थे।
अमेरिका पर परमाणु संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए रूहानी ने कहा कि “वांशिगटन ने प्रतिक्रिया में आतंकी कार्रवाई को लागू किया है और ईयू ने अपनी तरफ से कोई उत्तरदायी प्रतिक्रिया नहीं दी है। आक्रमक प्रतिबंधों के साथ अमेरिका आर्थिक आतंकी की पटरी पर उतर गया है।”
ईरान द्वारा परमाणु बमो की योजना के दावों को खारीज करते हुए रूहानी ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग ने संधि के साथ तेहरान अनुपालन को 15 रिपोर्टो में जारी किया था।” ईरानी राष्ट्रपति ने पुष्टि की कि उनका देश क्षेत्र में स्थित के लिए कदम उठाएगा और आतंकवाद के खिलाफ अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में जंग लड़ेगा।”
मॉस ने मध्य पूर्व में तनावों में वृद्धि के बाबत कहा कि “हम और ईयू क्षेत्र में तनावों को कम करने के इच्छुक है और इसकी कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ेगे।” अमेरिका और ईरान के बीच सबंधों ने बीते वर्ष तनाव आया था जब वांशिगटन ने तेहरान के साथ साल 2015 में हुई संधि को तोड़ दिया था।
अमेरिका अपने मत पर हमेशा अडिग रहेगा और ईरानी सरकार पर अधिकतम दबाव बनाएगा, जब तक वह अपने परमाणु कार्यक्रम के अस्थिर मंसूबो को खत्म नहीं कर देता।