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    भारत और अमेरिका के साथ सम्बन्ध

    अमेरिका के ईरान से तेल खरीदने की रिआयत खत्म करने के बाद भारत की मुश्किलों में इजाफा हुआ है। भारत के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “ईरान और अमेरिका के साथ संबंधों को कायम रखने के लिए भारत को कुशल कूटनीति अमल में लानी होगी।”

    अमेरिका ने आठ देशों को ईरानी तेल खरीदने की रिआयत को खत्म कर दिया था और इसमें भारत का नाम भी शुमार है। बीते नवंबर में अमेरिका ने भारत, चीन, ग्रीस, इटली, ताइवान,जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया को छह माह तक ईरान से तेल खरीदने की रिआयत दी थी।

    बीते वर्ष मई ने अमेरिका ने ताहरां के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और उन पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।

    विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविन्द गुप्ता ने कहा कि “हमें उम्दा कूटनीतिक खेल खेलना होगा। भारत के लिए ईरान बेहद महत्वपूर्ण है। मध्य एशिया तक पंहुच के लिए ईरान हमारे लिए बेहद जरुरी है, साथ ही अफगानिस्तान भी बेहद जरुरी है और अमेरिका इसके बाबत सब जानता है।”

    अमेरिका ने भारत और अन्य देशों से 4 नवंबर तक ईरान से तेल खरीद को शून्य करने के लिए कहा था या प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा था लेकिन उसने छह माह की रिआयत दे दी थी। अरविन्द गुप्ता ने यह बयान इंस्टिट्यूट ऑफ़ साउथ एशियाई स्टडीज में दिया था और गुरूवार को अपनी किताब “हाउ इंडिया मैनेज इट्स नेशनल सिक्योरिटी” पर चर्चा के दौरान कही थी।

    उन्होंने कहा कि “अमेरिका अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए भारत पर अत्याधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत को ईरान और अमेरिका के साथ अपने संबंधो को कायम रखने के लिए रस्सी पर चलना होगा। ईरान भारत को पसंद करता है। दोनों देशों के बीच तेल के आयत पर करीबी व्यापार और कूटनीतिक सम्बन्ध है जो रूपए के ट्रांसक्शन और वहां भारत के निवेश पर आधारित है।”

    भारत के रिफाइनरी कंपनियां अधिकतर ईरान और वेनेजुएला से आयात पर आश्रित है। इस बाबत उन्होंने कहा कि “कच्चा तेल अनतर्राष्ट्रीय बाजार में व्यापर रूप से मौजूद है और वह रिफाइनिंग प्रक्रिया में जोड़-तोड़ कर सकते हैं।” ईरानी तेल के आयत के बंद होने जाने से वैश्विक तेल बाज़ार पर प्रभाव बढ़ेगा।

    सिंगापुर के डीबीएस बैंक ने कहा कि “जनवरी से अप्रैल 2019 के बीच राजनीतिक संकट के कारण वेनेजुएला का तेल निर्यात ठप हो गया। 75 डॉलर प्रति बैरल तेल भारत के बाज़ार के लिए जोखिम भरा हो सकता है। ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार भारत है और वह प्रति माह 12.5 लाख टन पर पर पाबन्दी लगाने को तैयार है।

    साल 2017-18 के वित्तीय वर्ष में प्रतिदिन 452000 बैरल तेल का आयात होता था। भारत में 80 प्रतिशत तेल आयात किया जाता है। इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक हैं और 10 प्रतिशत करते हैं।

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    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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