ईरान के तेल मंत्री बिजन ज़न्गानेह ने कहा कि भारत में स्थापित रुसी रिफाइनरी को ईरान से ख़रीदे गए तेल का इस्तेमाल भारत सरकार ने नहीं करने दिया था। अमेरिका ने प्रतिबंधों से केवल भारत को रियायत दी है, इसमें रूस शामिल नहीं हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार को ईरानी तेल निर्यात करने की रियायत मिली है और वह से सिर्फ राज्य अधिकृत रिफाइनरी के लिए ही इस्तेमाल कर सकता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार को रुस को ईरानी तेल के इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी है, चाहे वह भारत की ही रिफाइनरी ही क्यों ना हो। मसलन, रुसी कंपनी ने भारत की एस्सार रिफाइनरी को खरीदा था, लेकिन उस कंपनी को ईरान के निर्यातित तेल के इस्तेमाल की आज्ञा नहीं मिली है।
भारत को अमेरिका से मिली थी रियायत
भारत उन आठ देशों में से एक है, जिसे अमेरिका ने प्रतिबंधों से मुक्त कर ईरान से तेल खरीदना जारी रखने की अनुमति दी थी। अमेरिका ने सभी राष्ट्रों को छह माह तक तेल निर्यात करने की अनुमति दी है और इस समय सीमा के बाद सभी मुल्कों को तेल खरीदना बंद करना होगा।
अमेरिका ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर प्रथम चरण के प्रतिबन्ध थोप दिए थे। 5 नवम्बर से अमेरिका पर दूसरे चरण के प्रतिबन्ध लागू हुए थे।
हाल ही में भारत और ईरान ने तेल की कीमत रूपए में अदा करने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये थे। इसके तहत भारत ईरान से निर्यात किये गए तेल की कीमत रुपये में चुकता करेगा।
हसन रूहानी ने लगाये आरोप
ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिका के प्रतिबन्ध आर्थिक आतंकवाद की तरह है। उन्होंने कहा कि सम्मानीय राष्ट्र ईरान के खिलाफ अमेरिका के अन्याय और गैर कानूनी तेल और अन्य उत्पादों पर प्रतिबन्ध एक सीधा आर्थिक आतंकवाद है।
हसन रूहानी ने कहा कि जब अमेरिका ने चीन पर व्यापार के लिए दबाव बनाया, हम को भी चोट पंहुची….तुर्की को सज़ा देने पर, हम सभी को सज़ा मिली थी। अमेरिका ने जब भी रूस को धमकाया है, हमें अपनी सुरक्षा भी खतरे में लगी है। उन्होंने कहा कि ईरान पर प्रतिबन्ध थोपकर अमेरिका ने सभी को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के फायदों से हमें वंचित किया है… उन्होंने सभी पर प्रतिबन्ध थोपे हैं।