ईरान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ब्रायन हुक ने गुरूवार को कहा कि “2 मई को रिआयत खत्म होने के बाद जो भी देश ईरान से तेल की सौदेबाज़ी करेगा अमेरिका उस देश पर प्रतिबन्ध लगा देगा। प्रतिबन्ध उन देशों पर लगाए जा सकते हैं जिन्होंने पहले से तेल का आर्डर दे रखा हो।”
उन्होंने कहा कि “हमारे प्रशासन की नीति ईरान के तेल के निर्यात को शून्य करना है।” वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में भारत और चीन जैसे देशों को रिआयत मिली थी और वही अब दोबारा ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकते हैं।
खाड़ी में टैंकरों पर हमले के लिए गुरूवार को अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने ईरान को कसूरवार ठहराया था। उन्होंने कहा कि “तेल के वैश्विक कीमतों में उछाल लाने के लिए ईरान ने इस हरकत का प्रयास किया था। इसके पीछे ईरान का मकसद समूचे विश्व में तेल की कीमतों में इजाफा करना था।”
जॉन बोल्टन ने कहा कि इस हमले में ईरान की संलिप्तता के सबूतों को उन्होंने देखा है। लंदन में बोल्टन ने कहा कि “इस हमले के पीछे ईरान के होने के सबूत अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के समक्ष पेश किये जायेंगे।”
सऊदी अरब की पाइपलाइन पर ड्रोन से हमले के बाद सल्तनत ने तत्काल अरब नेताओं की बैठक का आयोजन किया था। मेक्का में आयोजित इस बैठक में खाड़ी की सुरक्षा पर चर्चा की थी और शान्ति को कायम पर बातचीत हुई थी। तेहरान ने इस हमले में शामिल होने के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है।