ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर अपने इस्तीफे का ऐलान कर सभी को चौंका दिया था। इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा कि “ईरानी की प्यारी और बहादुर जनता की उदारता और बीते 67 वर्षों में हमारे अधिकारीयों को मेरा बेहद शुक्रिया। मैं सेवा को जारी रखने में असमर्थता और मेरी सेवा के दौरान कमियों के लिए, मैं तहे दिल से माफ़ी चाहता हूं। खुश व सुयोग्य रहिये।”
इस्तीफे का ऐलान
उन्होंने अपने त्यागपत्र का कोई विशिष्ट कारण नहीं जाहिर किया है। अस्पष्ट मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह सोमवार को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की तेहरान यात्रा के कारण हुआ है। इस दौरे की कवरेज में विदेश मंत्री कही नई दिखे और एक ऑनलाइन साइट ने कहा कि “जावेद ज़रीफ़ को इस बाबत सूचित नहीं किया गया था।”
जावेद ज़रीफ़ ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को मुक्कमल करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्ही के कार्यकाल में ईरान ने परमाणु कार्यक्रम को रद्द किया था और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंधों को तेहरान से हटाया गया था। बीते वर्ष मई में अमेरिका द्वारा परमाणु संधि तोड़ने के बाद वह पश्चिम विरोधियों के निशाने पर आये थे।
साल 2011 में सीरियाई युद्ध छिड़ने के बाद बशर अल असद ने पहली बाद तेहरान की सार्वजानिक यात्रा की है। उन्होंने वरिष्ठ नेता अयातुल्ला अली खमेनेई और राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और यूएन में ईरानी अभियान के राजदूत ने त्यागपत्र की आधिकारिक पुष्टि की थी। हालाँकि राष्ट्रपति द्वारा इस्तीफे को स्वीकार किया गया है या नहीं, इस बाबत कोई पुष्टि नहीं की गयी है।
जरीफ की आलोचना
जावेद ज़रीफ़ का जन्म साल 1960 में हुआ था और 17 वर्ष की उम्र के बाद वह अमेरिका के सं फ्रांसिस्को और डेन्वेर में रहे थे। न्यूयोर्क ने उन्हें ईरानी राजदूत का पदभार साल 2002 में दिया था। उन्हें अगस्त 2013 में विदेश मंत्री का पद सौंपा गया था।
उन्होंने साल 2013 के अंत से ही ताकतवर देशों के साथ परमाणु संधि के बाबत बातचीत शुरू कर दी थी। इस वार्ता को स्पष्ट करने के लिए कई बार कट्टरपंथी सांसदों ने उन्हें तालाब भी किया था। ईरान की कट्टरपंथी सेना के पूर्व कमांडर ने इस माह के शुरुआत में कहा था कि “उन्हें यकीन हैं कि ईरानी जनता जावेद जरीफ और परमाणु संधि को समर्थन करने वालों पर थूकेगी। ज़रीफ़, रूहानी और संसद जहन्नम में जाएँ।”