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    अमेरिका ईरान

    संयुक्त राष्ट्र की अदालत ने अमेरिका को आदेश दिया कि मानवीय आधारों पर ईरान के उत्पादों पर लगाये प्रतिबन्ध रद्द कर दिए जाए। डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से निकल जाने से तेहरान को आर्थिक नुकसान हुआ है।

    अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय के न्यायादीशों ने कहा कि यह प्रतिबन्ध साल 1955 में ईरान और अमेरिका के बीच हुई मैत्री संधि का उल्लंघन है। मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्कावी अहमद ने कहा कि उत्पादों पर प्रतिबन्ध से ईरान की आवाम स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियों से ग्रस्त हो सकती है।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले दौर के प्रतिबन्ध मई में परमाणु संधि से बाहर निकलने के बाद लगाये थे। वहीं दूसरे दौर के प्रतिबन्ध नवम्बर से शुरू हो जायेंगे। अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को ईरान के साथ सभी व्यापार संधि पर रोक लगाने के लिए आगाह कर दिया है।

    ईरानी विदेश मंत्री ने फैसले के बाद कहा कि यह प्रतिबन्ध मानसिक युद्ध छेड़ने के लिए लगाये गये थे। ईरान के वकील ने अमेरिका पर उनकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया। जबकि वंशिगटन ने कहा कि यह उनके देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडा मुद्दा है।

    साल 2015 में ईरान के साथ हुई अमेरिका की संधि के मुताबिक तेहरान परमाणु निरस्त्रीकरण करने को तैयार था।जिसके लिए अमेरिका सहायता राशि मुहैया करता था। डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संधि को खारिज करते हुए कहा कि ईरान सहायता राशि का इस्तेमाल आतंवाद को बढ़ावा देने और मिसाइल के परीक्षण के लिए करता है।

    अमेरिका और ईरान के रिश्ते में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद खटास आई थी। साल 1955 की संधि के अलावा अमेरिका और ईरान के मध्य साल 1980 के बाद से कोई कूटनीतिक समझौता नहीं हुआ है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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