ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि देश बीते 40 वर्षों में अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसके लिए अमेरिका को कोसना चाहिए न कि हमारी सरकार पर इसका ठिकड़ा फोड़ना चाहिए। अमेरिका के राष्ट्रपति ने बीते वर्ष मई में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दी थी। इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर दोबारा सभी प्रतिबन्ध लगा दिए थे।
आर्थिक कठियानियों से जूझते ट्रक ड्राईवरों, किसानों और व्यापारियों ने अर्थव्यवस्था की बिगडती हालात के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कई मौकों पर ईरान के सुरक्षा सैनिकों के साथ झड़प भी हुई है। राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “आज देश भारी दबाव और आर्थिक प्रतिबंधों की सबसे बुरी स्थिति से जूझ रहा है, जो बीते 40 वर्षों में सबसे बुरी है। आज हमारे बिगड़े हालात अमेरिका और उसके सहयोगियों के दबाव के कारण है। और इसके लिए दायित्व का निर्वाह करने वाली सरकार और इस्लामिक प्रणाली को कसूरवार नहीं ठहराना चाहिए।”
बीते माह में ईरान की मुद्रा रियाल में धड़ल्ले से गिरावट आई है और इसने आम जनता के बीच कोहराम मचा दिया है। राष्ट्रपति हसन रूहानी इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खोमीनी की 40 वीं वर्षगाठ के मौके पर सभा को संबोधित कर रहे थे।
ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका के प्रतिबन्ध आर्थिक आतंकवाद की तरह है। उन्होंने कहा कि सम्मानीय राष्ट्र ईरान के खिलाफ अमेरिका के अन्याय और गैर कानूनी तेल और अन्य उत्पादों पर प्रतिबन्ध एक सीधा आर्थिक आतंकवाद है।
अधिकारीयों ने बताया कि इस बजट का आंकलन प्रति बैरल कच्चे तेल 50 से 54 डॉलर और प्रतिदिन के निर्यात पर आधारित है। 2018 के मध्य में कच्चा तेल 3 अरब बैरल प्रतिदिन निर्यात किया जायेगा। हसन रूहानी ने कहा कि यदि देश में निजी क्षेत्र मौजूद हो, तो बजट तेल पर निर्भर न रहे, और प्रतिबंधों प्रभाव कम होता।