सरकार ने ईपीएफ कवर के लिए मासिक वेतन सीमा बढ़ाकर 15000 से 21000 रूपए कर दी है। ऐसे में सरकार की ओर से कर्मचारियों को दी जाने वाली वार्षिक कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) की धनराशि में 50 फीसदी यानि करीब 3,000 करोड़ रूपए की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस योजना के कार्यान्वित होते ही पीएफ के 4.5 करोड़ उपभोक्ताओं की संख्या में करीब 50 लाख का इजाफा हो जाएगा।
श्रम मंत्रालय का प्रस्ताव कुछ समय से लंबित था, वित्त मंत्रालय ने इस मामले में श्रम मंत्रालय से कुछ जानकारी मांगी थी। आप को जानकारी के लिए बता दें कि कंपनी को कर्मचारी बेसिक वेतन का 12 फीसदी रकम खाते में रखनी होती है। जिसमें से 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी के पेंशन योजना में चला जाता है।
वर्तमान में ईपीएफ के लिए 15,000 रुपए प्रतिमाह का वेतन तय है जिसके अनुसार करीब 1250 रूपए हर माह कर्मचारी के पेंशन योजना के तहत जमा कर लिया जाता है। मौजूदा नियमों के मुताबिक जिस नियोजित इकाई में 20 से ज्यादा लोग काम करते हैं, उनको श्रमिकों को ईपीएफ लाभ देना अनिवार्य है। सरकार न्यूनतम 1000 रूपए प्रतिमाह पेंशन भगुतान के लिए प्रतिवर्ष 3,000 करोड़ रुपये का अनुदान मुहैया कराती है।
श्रम मंत्रालय की ओर से भेजी गई संस्तुति के बाद वित्त मंत्रालय की ओर मंजूरी मिलते ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने ईपीएफ कवर सीमा 15000 रूपए से बढ़ाकर 21000 रूपए कर दी है।
पिछले साल ईएसआईसी यानि कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत चिकित्सा/बीमा लाभ के लिए मजदूरी की सीमा बढ़ाकर 15000 से 21,000 रुपये प्रति माह कर दी गई। श्रम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय भारत में करीब 49 करोड़ श्रमिक आबादी है।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ईपीएफ दर को छोटी बचत योजनाओं जैसे पीएफ की तरह करने के लिए श्रम मंत्रालय पर दबाव बना रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि ईपीएफओ साल के अंत तक ईटीएफ में 45,000 करोड़ रुपए तक निवेश कर सकता है। साल 2015-16 में पीएफ ब्याज दर 8.8 फीसदी , जबकि पिछले साल दिसंबर में ईपीएफओ के ट्रस्टियों ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए यह दर 8.65 फीसदी निर्धारित की थी।