Thu. Nov 21st, 2024

    पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों पर बात करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को केंद्र द्वारा लगाए गए ईंधन करों में तत्काल कटौती से इनकार कर दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए राज्यों को ईंधन पर अपने स्वयं के करों में कटौती करनी चाहिए।

    इसके एक दिन बाद विपक्ष की राज्य सरकारों ने इसका जवाब दिया। निर्मला सीतारमण के इस बयान से कई राज्य सरकारें खुश नहीं थीं और उन्होंने इसे अपमान करार दिया ऐसे समय में जब उनके वित्त पहले से ही कमजोर हैं।

    वित्त मंत्री सीतारमण ने जोर देकर कहा था कि राज्यों को तेल की ऊंची कीमतों से केंद्र की तुलना में अधिक लाभ हुआ क्योंकि वे यथामूल्य शुल्क वसूलते हैं जबकि केंद्र ने एक निश्चित शुल्क लगाया। वित्त मंत्री के अनुसार निश्चिन शुल्क को कम करना मुश्किल होगा क्योंकि उसे 2012-13 में यूपीए सरकार दी गयी ईंधन की कीमतों में कटौती के लिए सब्सिडी वाले आयल बांड पर ब्याज देना होगा।

    केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने कहा कि, “केंद्रीय वित्त मंत्री ने पूर्ण रूप से स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र का ईंधन की कीमतों को कम करने का कोई इरादा नहीं है। ऐसे समय में जब राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति सही नहीं है तब यह मांग करना किसी अपमान से कम नहीं है।”

    राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने यह तर्क दिया कि वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के समय नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लगाए गए अतिरिक्त और विशेष उत्पाद शुल्क और उपकर के कारण पेट्रोल और डीजल महंगा हो गया था। उन्होंने आगे कहा कि माननीय सीतारमण ने यह यह कहकर झूठ बोलै है कि राज्य सरकारें इधर पर कर से अधिक पैसा बना रही हैं।

    तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन ने वित्त मंत्री की उस टिप्पणी का जवाब देने के लिए ट्विटर का सहारा लिया जिसमें राज्य ने पेट्रोल करों में तीन रुपये की कटौती की घोषणा की थी लेकिन जो पहले सात रुपये की बढ़ोतरी के बाद की गयी थी। वित्त मंत्री ने ईंधन की कीमतों में सब्सिडी के लिए तेल बांड जारी करने की यूपीए की “चालबाजी” के पक्ष में होने के लिए द्रमुक पर भी निशाना साधा था।

    टी.एन. मंत्री ने विरोध करते हुए लिखा कि पेट्रोल पर 3 रुपये प्रति लीटर कर कम करने का निर्णय “ईमानदारी है और यह छल नहीं है। 2016 और 2020 के बीच, भाजपा की सहयोगी, तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार ने दो चरणों में पेट्रोल पर ₹7 प्रति लीटर कर बढ़ाया था। विपक्ष में रहते हुए द्रमुक ने इसका विरोध किया था। अब डीएमके ने बनाई सरकार और पेट्रोल कर में ₹3/लीटर की कमी की।”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *