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    पाकिस्तान

    अमेरिका की सेना के पूर्व अधिकारी ने आगाह किया कि पाकिस्तान में आईएस का पाकिस्तान में प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए आतंकी हमले पर विचार व्यक्त करते हुए अमेरिकी आर्मी के रिटायर्ड कर्नल लॉरेंस सेलिन ने कहा कि “आईएसआईएस का जन्म पाकिस्तानी सरजमीं पर हुआ है और वह अभी अफगानिस्तान में सक्रीय है।

    पाकिस्तानी तालिबान के सदस्य तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने साल 2010 से शरणार्थियों के तौर पर अफगानिस्तान के नांगरहार प्रान्त में आवाजाही शुरू कर दी है। इससे पूर्व पाकिस्तान की सेना ने ओरकज़ई और खैबर जनजाति क्षेत्र में टीटीपी आक्रमक कार्रवाई की थी।

    लॉरेंस ने कहा कि “यह वह शरणार्थी है जो इस्लामिक स्टेट को नींव मुहैया करते हैं। इनका आधारभूत समर्थन यह है कि यह हज़ारो पाकिस्तानी इस्लामिक स्टेट के लिए सीरिया में लड़ते हैं और साल 2013 से इन्होने वापसी शुरू कर दी है। जनवरी 2015 में इस्लामिक स्टेट ऑफ़ खोरासन प्रान्त ने टीटीपी के पूर्व कमांडर हाफिज सईद खान को आधिकारिक तौर पर नेता घोषित किया था।”

    उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान में चरमपंथ और असहिषुणता के स्तर में वृद्धि चिंता का विषय होना चाहिए। यह अफगानिस्तान के लिए खतरा है और दक्षिण एशिया की अस्थिरता में सबसे बड़ा योगदानी है। यह पाकिस्तान की आधिकारिक नीति और पाकिस्तानी आईएसआई की गतिविधियों का स्पष्ट परिणाम है।”

    इस्लामीकरण कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुहम्मद जिया उल हक़ ने 1970 के दशक में की थी। उन्होंने इस्लामिक स्कूलो ‘मदरसों’ का प्रसार किया और इस्लामिक कानून शरिया का प्रचार किया था। यह कानून विशिष्ट तौर पर संजातीय समूहों और धार्मिक विविधता को कुचलकर राष्ट्रीय एकता के लिए बनाया गया था।

    आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान में उग्रवादी समूहों का प्रसार हुआ है, वे अधिक चरमपंथी और असहिष्णु हुए हैं। देओबंदी शिया विरोधी संगठन सिपाह ए सहाबा पाकिस्तान ईरान की क्रांति को जगाने का कारक बना था क्योंकि इन्होने पाकिस्तान में शिया प्रभुत्व का विरोध किया था। पाकिस्तान में देओबंदी मूल विचारधारा का प्रसार काफी तीव्रता से हुआ और इसके लिए सऊदी अरब से फंडिंग की जाती थी।

    कट्ठरपंथियों की संख्या में वृद्धि के कारण एसएसपी के समक्ष चरमपंथियों की संख्या अपर्याप्त हो गयी, तब उन्होंने एक अन्य उग्रपंथी समूह लश्कर ए झांगवी की नींव ऱखी थी। इस्लाम की पाक शैली को ढूंढने के लिए एलईजे ने अधिक हिंसक और असहिष्णु लश्कर ए झांगवी अल अलामी का गठन किया। बीते दो वर्षों ने इस संगठन ने बलूचिस्तान में कई रक्तपात अत्याचारों की जिम्मेदारी ली है।

    लॉरेंस ने कहा कि “अन्य कथित इस्लामिक स्टेट के सहयोगी पश्चिमी बलूचिस्तान के तुर्बत में सक्रीय है, यह शहर ड्रग तस्करी के केंद्र के रूप में जाना जाता है। लश्कर ए खोरासन समूह पर धार्मिक अल्पसंख्यकों की हत्या के आरोप है।” सऊदी अरब ने देओबंदी को छोड़कर अधिक उग्रवादी अहले हदीथ अभियान को समर्थन कारण शुरू कर दिया है।

    पाकिस्तान में कई सुन्नी समूहों जैसे जैश अल अदल को भी सऊदी अरब फंडिंग करता है जो सुरक्षित पनाह पाकिस्तान से ईरान पर आतंकी हमले करते हैं और इनका नाता इस्लामिक स्टेट से हैं।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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