भारत ने सेटेलाइट ट्रैकिंग और डाटा रिसेप्शन केंद्र की स्थापना भूटान में की है, जो रणनीतिक रूप से चीन की क्षेत्रीय सुविधाओं का विरोध करेगा। भूटान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघठन की स्थापना भारत के लिए रणनीतिक संपत्ति है, क्योंकि इसकी स्थापना की जगह भारत और चीन के बीच में है।
चीन ने एडवांस सेटेलाइट ट्रैकिंग सेंटर और एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी की स्थापना स्वायत्त राज्य तिब्बत के नागरी में की थी, जो नियंत्रण रेखा से 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चीन की एडवांस प्रणाली इतनी शक्तिशाली है कि भारतीय सेटेलाइट पर नज़र रखने के यह उनके कार्य को बंद भी कर सकती है।
डोकलाम संकट के लिहाज से यह रणनीति सार्थक है, जब चीन ने भारत, भूटान और चीन के मध्य सड़क निर्माण करने का प्रयास कर रहा था। डोकलाम में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के मध्य छिड़े 72 दिनों के संग्राम में भूटान भारत के साथ खड़ा था। बीते हफ्ते भूटान के साथ प्रधानमन्त्री स्तरीय वार्ता के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि भूटान में इसरो के ग्राउंड स्टेशन का निर्माण जल्द ही खत्म होने वाला है।
भूटान के प्रधानमन्त्री लोटाय त्शेरिंग के साथ मुलाकात के बाद भारतीय पीएम ने कहा कि भूटान के साथ सहयोग में अन्तरिक्ष विज्ञान एक नया आयाम है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद भूटान को मौसम सूचना, टेली मेडिसिन और आपदा राहत जैसी सूचनाएं प्राप्त करने में आसानी होगी। इसरो ने दक्षिण एशिया में सेटेलाइट का निर्माण 5 मई 2017 में शुरू किया था।
भारत ने पड़ोसी राज्य भूटान को 12 वें पंचवर्षीय विकास कार्य के लिए 4500 करोड़ की सहायता करने का वादा किया है। भूटानी नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री चार दिवसीय दौरा पर भारत आये हुए थे।