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    इसरो

    इसरो के प्रमुख के सिवान ने आज बयान में कहा की इसरो दिसम्बर 2021 तक एक मिशन के तहत भारतीयों को अन्तरिक्ष में भेजेगा। यह गगनयान के तहत किया जाएगा जोकि भारत को स्वतंत्र रूप से मानवों को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा राष्ट्र बनने में मदद करेगा।

    के सिवान का बयान :

    इसके साथ ही भारत का दूसरा चंद्रयान मिशन इस साल अप्रैल में किये जाने की संभावना है। गगंयाँ की घोषणा मोदीजी ने पिछले साल स्वतंत्र दिवस पर की थी जिसमे उन्होंने कहा था की मिशन के तहत भारत का बेटा या बेटी अन्तरिक्ष में जायेंगे।

    गगनयान के तहत अन्तरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को दो स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें से प्रारंभिक प्रशिक्षण भारत में ही होगा लेकिन उन्नत प्रशिक्षण के लिए शायद उन्हें रूस भेजा जाएगा। इसके लिए इसरो ने रूस एवं फ्रांस से सहायता के लिए समझोता किया है।

    एस्ट्रोनॉट्स नहीं व्योमनोट्स होगा नाम:

    अंतरिक्ष यात्रियों को एस्ट्रोनॉट्स नहीं बल्कि संस्कृत में “व्योम” शब्द के अनुसार “व्योमनाट्स” कहा जाएगा। इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने गए उम्मीदवारों को शुरू में भारत में प्रशिक्षित किया जाएगा और फिर उन्नत प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया की चयन की एक अलग प्रक्रिया है। हमारे पास सात दिनों में तीन अंतरिक्ष यात्री रखने की क्षमता है।

    इसरो करेगा सबसे बड़े राकेट का प्रयोग :

    ISRO 2022 में गगनयान मिशन के तहत तीन व्यक्तियों को अन्तरिक्ष में भेजने के लिए अपने सबसे बड़े राकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLV Mk III) का प्रयोग करने वाला है।

    अंतरिक्ष एजेंसी अब से 40 महीनों के अन्दर  पहला मिशन शुरू करने की उम्मीद करती है। “प्रदर्शन चरण” की योजनाओं के तहत दो मानवरहित विमान एवं एक मानवसहित विमान को भारतीय प्रोद्योगिकी का प्रयोग करके धरती के आंतरिक ऑर्बिट में  5-7 दिनों के लिए छोड़ा जाएगा।

    चंद्रयान 2 के बारे में कुछ जानकारी :

    चंद्रयान -2, एक चंद्रमा मिशन है जिसकी लागत लगभग 800 करोड़ रूपए तक आंकी गयी है। यह लगभग 10 साल पहले किये गए चंद्रयान -1 मिशन का उन्नत संस्करण है। मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर प्रयोगों का संचालन करना और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर रखकर पृथ्वी पर महत्वपूर्ण जानकारी को भेजना है। इससे चन्द्रमा की सतह एवं वहां के वातावरण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

    ISRO की पिछली उपलब्धियां :

    • भारत ने 2007 में सैटेलाइट रिकवरी एक्सपेरिमेंट के माध्यम से अपनी पुनः प्रवेश तकनीक का परीक्षण किया जब 550 किलोग्राम के उपग्रह को कक्षा में भेजा गया और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया गया।
    • प्रयोग ने ऐसे हल्के सिलिकॉन टाइलों का परीक्षण किया जो किसी भी अंतरिक्ष यान को धरती के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते समय रक्षा प्रदान करता है।
    • बाद में, 2014 में, भारत ने एक क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट (CARE) का परीक्षण किया, जहां 3,745 किलो का स्पेस कैप्सूल – चालक दल के मॉड्यूल का एक प्रोटोटाइप जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा उपयोग किया जाएगा – पहली उड़ान पर वायुमंडल में लॉन्च किया गया था जीएसएलवी एमके III और फिर सुरक्षित रूप से बंगाल की खाड़ी से बरामद किया गया।
    • तब से, ISRO ने एक अंतरिक्ष यान बनाने की कला में भी महारत हासिल कर ली है जिसका उपयोग भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किया जाएगा जब वे श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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