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    इवांका-ट्रम्प-महिला-उद्यमी-भारत

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी और उनकी निजी सलाहकार इवांका ट्रम्प इस समय भारत दौरे पर हैं। इवांका ट्रम्प राजनीति में आने से पहले एक सफल उद्यमी भी रह चुकी हैं। इवांका का एक फैशन ब्रांड अमेरिका में काफी सफल है। अब हालाँकि इवांका राजनीति में ज्यादा सक्रीय भूमिका निभा रही है।

    राजनीति के अलावा इवांका महिला सशक्तिकरण में भी अहम् भूमिका अदा कर रही हैं। इसी मामले में इवांका इस समय विश्व उद्यमी सम्मलेन में हिस्सा लेने भारत आई हैं। मजे की बात यह है कि यह पहली बार होगा कि किसी उद्यमी सम्मलेन में महिलाओं की संख्या ज्यादा हो।

    आपको बता दें इस साल हैदराबाद में हो रहे विश्व उद्यमी सम्मलेन में 52 फीसदी महिलाएं शामिल होंगी। ऐसे में क्या यह कहना सही होगा कि भारत में महिला उद्यमी की संख्या बढ़ रही है और व्यापार जगत में महिलाओं को भी सामान अधिकार मिल रहे हैं? आंकड़े कुछ और ही बताते हैं।

    नैसकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मौजूद 5000 स्टार्टअप में से सिर्फ 11 फीसदी की संस्थापक महिलाएं हैं। पिछले वर्ष से यदि तुलना करें, तो इसमें बहुत कम वृद्धि हुई है।

    सहा फण्ड की एक रिपोर्ट की मानें तो जिन स्टार्टअप को महिलाएं चला रही हैं, उन्हें निवेश मिलने के आसार सिर्फ 3 फीसदी हैं। इसका मतलब 100 में से सिर्फ तीन ऐसे स्टार्टअप होते हैं, जिन्हें फंडिंग मिलती है।

    सहा फण्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकिता वशिष्ठ के मुताबिक, “भारत में महिला निवेशकों की संख्या बहुत कम है। इसी कारण से महिलाओं को निवेश नहीं मिल पाता है। हमने महिलाओं में निवेश करना इसलिए शुरू किया क्योंकि भारत में ऐसे प्लेटफार्म ही नहीं हैं, जो महिलाओं को फंडिंग देने के बारे में सोचे।”

    लेकिन क्या कहना सही होगा कि सिर्फ महिलाएं की महिलाओं में निवेश कर सकती हैं?

    सौन्दर्य कंपनी नयका की संस्थापक फाल्गुनी नायर की मानें तो ऐसा जरूरी नहीं है। नायर का कहना है, “मेरे व्यापार में पुरुषों ने ही निवेश किया है, क्योंकि उनको मेरा बिज़नस मॉडल अच्छा लगा। फंडिंग का महिला या पुरुष से कोई लेना देना नहीं है।”

    इसके अलावा और क्या कारण हो सकते हैं, कि भारत में महिला उधमी की संख्या इतनी कम है?

    दरअसल, हम कितना भी महिला सशक्तिकरण की बात कर लें, देश में अभी भी महिलाओं को वह दर्जा नहीं दिया जा रहा, जो पुरुषों को दिया जाता है। महिलाओं की क्षमता और योग्यता पर अभी भी सवाल उठाये जाते हैं।

    इसके अलावा महिलाओं को उनके परिवारों से भी इस विषय में खासा समर्थन नहीं मिलता है। इन सभी कारणों से व्यवसाय शुरू करने का एक महिला का सपना सिर्फ सपना ही रह जाता है?

    उपाय

    इस सबके बाद हमें सोचना चाहिए, कि इस समस्या का उपाय क्या है? महिलाओं का व्यापार जगत में स्तर कैसे बढ़ाया जाए?

    दरअसल इसके लिए सबसे अहम् भूमिका महिलाओं को ही निभाई पड़ेगी। महिलाओं को ही पुरानी सोच को छोड़कर समाज में अपने अस्तित्व के लिए खड़ा होना पड़ेगा।

    किरण-मजुमदार-महिला-उद्यमी

    देश में चाहे महिला सशक्तिकरण के लिए कितनी ही संस्थाएं क्यों ना खड़ी की जाएँ, जब तक महिलाएं कोशिश नहीं करेंगी, वे सशक्त नहीं हो सकती हैं।

    इसके अलावा बड़े ओहदों पर मौजूद पुरुषों को भी इस विषय में उपाय करने होंगे। उनके लिए यह जरूरी है कि वे महिलाओं को उतना ही मौका दें, जितना अन्य पुरुषों को।

    सुखद तस्वीर

    इस सबके बाद भी, उद्यमी जगत में महिलाओं का स्तर पिछले कुछ सालों में बढ़ा ही है। भारत में ही महिलाओं ने पिछले कुछ सालों में व्यापारिक जगत में एक मजबूत स्थिति बनायी है।

    नैसकॉम की सीनियर वाईस-प्रेसिडेंट संगीता गुप्ता के मुताबिक, “पांच साल पहले कारोबार जगत में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 7 फीसदी थी। इसमें वृद्धि जरूर हुई है। यदि हम विश्व औसत की बात करें, तो हम इसमें बेहतर हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम बेहतर नहीं कर सकते हैं।”

    हैदराबाद में हो रहे विश्व उद्यमी सम्मेलन में बड़ी बड़ी कंपनियों की महिला अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसमें इंटेल, आईबीएम आदि कंपनियों की अधिकारी शामिल थी। इन महिलाओं ने वाइस (WISE) नामक एक समूह को शुरू करने की घोषणा की है, जो महिला उद्यमी और उनके द्वारा शुरू की गयी स्टार्टअप पर जोर देंगे।

    वाइस ग्रुप से देश की सबसे शक्तिशाली महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इसमें इंटेल की चीफ निवरुती राय, निशा बिस्वाल, आईबीएम इंडिया की चेयरमैन वनिथा नारायणन, कलारी कैपिटल की वाणी कोला आदि शामिल हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।