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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत से जुड़े तीन दशकों पुराने कानून में बदलाव किया हैं। पुराने नियम के अंतर्गत आरोपी द्वारा दाखिल जमानत याचिका पर अर्जी देने के दस दिन बाद जमानत दी जाती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कानून में बदलाव कर समयसीमा दस दिन से कम कर दो दिन कर दी हैं।

    हाई कोर्ट द्वारा इस विषय में  नोटिस जारी कर सुचना दी गयी थी, इसके बाद जमानत याचिका सरकारी वकील के पास देने के दो दिनों के अंदर जमानत याचिका पर फैसला सुनाया जाएगा। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद इलाहबाद उच्च न्यायलय के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी भी आरोपी को जमानत के लिए 10 दिनों तक रुकना नहीं पड़ेगा।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट रूल्स के नियम 18(3)(a) जिसके अनुसार विशेष परिस्थितियों में सरकारी वकील को जमानत अर्जी देने के 10 के बाद ही जमानत कोर्ट द्वारा दी जाती थी।

    सय्यद मोहम्मद हैदर रिज़वी ने एक केस में दलील देते हुए हाई कोर्ट का ध्यान इस नियम की ओर आकर्षित किया था। एडवोकैट रिज़वी ने इलाहबाद हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को इस नियम को गैरसंवैधानिक और निर्दोष लोगों को न्याय से वंचित रखनेवाला बताते हुए, इस नियम को बदलने की विनंती की थी।

    4 दिसम्बर 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायिक रजिस्टार ने एडवोकैट रिज़वी को बताया, कोर्ट इस नियम में बदलाव करने के विचाराधीन हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस नियम में बदलाव किए जाने को मंजूरी दी।

    वकीलों के अनुसार, इस नियम में बदलाव किए जाने से हजारों निर्दोष लोगों को जमानत से पहले 10 दिनों तक जेल में रहना नहीं पड़ेगा।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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