इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की एक अदालत के अंदर हुई हत्या के मामले में बुधवार को स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और प्रमुख गृह सचिव से इस पर 20 दिसंबर तक जवाब मांगा है। अदालत ने राज्य सरकार से जिला अदालतों के लिए अपनी सुरक्षा योजना बनाने के लिए भी कहा है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने कहा कि सरकार को अदालत परिसर के लिए सुरक्षा योजना बनानी चाहिए।
इस बीच राज्य सरकार ने लापरवाही के लिए 19 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है, जिस कारण अदालत कक्ष के अंदर हत्या हुई।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को बिजनौर जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत के अंदर तीन व्यक्तियों द्वारा गोली चलाने पर एक अंडर ट्रायल व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया था।
अदालत का एक क्लर्क मुनीश भी इस गोलीबारी में घायल हो गए, जबकि सीजेएम को भी खुद को बचाने के लिए भागना पड़ा।
हमलावरों ने हत्या को अंजाम देने के बाद कोर्ट के अंदर आत्मसमर्पण कर दिया।
खबरों के मुताबिक, जब यह घटना घटित हुई, उस समय सीजेएम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता एहसान और उनके भतीजे शादाब की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे।
इस दोहरे हत्याकांड के आरोपी शाहनवाज और जब्बार को दिल्ली पुलिस सुनवाई के लिए लेकर आई थी, जिन्होंने कुछ महीने पहले उन्हें गिरफ्तार किया था।
पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने संवाददाताओं को बताया कि मारे गए एहसान के बेटे साहिल अपने दो दोस्तों के साथ अदालत पहुंचे और शाहनवाज और जब्बार पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। उनके द्वारा लगभग 20 राउंड फायर किए गए।
शाहनवाज की मौके पर ही मौत हो गई, लेकिन जब्बार मौके से फरार हो गया।
पुलिस ने तुरंत कोर्टरूम को घेर लिया और हमलावर वहां से भाग नहीं पाए, जिसके बाद उन्होंने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।