इराक ने पड़ोसी मुल्क ईरान के साथ अमेरिका के शत्रुतापूर्ण व्यवहार पर टिप्पणी की है। इराक और ईरान के बीच सालाना व्यापार 13 अरब डॉलर का है और ऊर्जा की आपूर्ति के लिए इराक काफी हद तक ईरान पर निर्भर रहता है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों ने संबंधों को जटिल बना दिया है।
हाल ही में अमेरिका ने ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी संगठन का दर्जा दे दिया था लेकिन कई इराकी नागरिकों का इस संगठन से करीबी ताल्लुक है। ईरान ने हाल ही में आईएसआईएल को खदेड़ने में इराक की मदद की थी।
अमेरिका ने ईरान के साथ साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। ईरानी तेल के आयात को शून्य करने के लिए वह 2 मई से सभी देशों की रिआयत को खत्म कर रहे हैं।अमेरिका ने आठ देशों, भारत, चीन, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, ग्रीस और ताइवान को ईरानी तेल खरीदने की छह माह तक रिआयत दी थी।
अमेरिका के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान ने बुधवार को ऐलान किया कि “वह अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों को खोजना जारी रखेगा और उन्हें तेल का निर्यात भी करेगा लेकिन अमेरिका ने अगर हमें रोकने की कोशिश की तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे।”
ईरान में रणनीतिक चाहबार बंदरगाह को विकसित भारत कर रहा है ऐसे में प्रतिबंधों से भारत की परियोजना पर असर पड़ सकता था। अमेरिका ने भारत को राहत देते हुए कहा कि “चाबहार बंदरगाह एक अलग अपवाद है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”