पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को सोहावा में एक विश्वविद्यालय की नींव रखी थी यह पंजाब में झेलम जिले में स्थित है। उन्होंने इसे सूफीवाद को समर्पित किया है। यह एक इस्लामिक सूफीवाद है जो अल्लाह से आध्यात्मिक करीबी और आत्मनिरीक्षण की अनुभूति कराता है।
बीते दो दशकों से पाकिस्तान में सूफी इस्लाम पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं और समस्त देश में सूफी मस्जिदों पर कई घातक हमले हुए हैं। इस विश्वविद्यालय का नाम अल क़ादिर यूनिवर्सिटी है जो 11 वीं सदी के सुन्नी मुस्लिम उपदेशक, वक्ता, ब्रह्मज्ञानी और सूफीवाद के क़दीरियया के संस्थापक थे।
शिलान्यास समारोह के दौरान इमरान खान ने कहा कि “बीते 23 सालो से मैं इस यूनिवर्सिटी के निर्माण के बाबत विचार कर रहा हूँ। यह सूफी मौलवी अब्दुल क़ादिर जिलानी के नाम पर होगी जो विज्ञान और अध्यात्म से रूबरू थे। हम आध्यात्मिक को सुपर साइंस मानते हैं और इससे अधिक अध्ययन की जरुरत है, जो यहां होगी।”
उन्होंने कहा कि “यह विश्वविद्यालय एक इरादे से निर्मित किया जा रहा है। हम अपने युवाओं को नेताओं में तब्दील करना चाहते हैं। यह तभी संभव है जब वह मदीना के सिद्धांतो से वाकिफ हो जायेंगे। हम इसका अध्ययन करेंगे और सीखेंगे कि कैसे मुस्लिमों ने मदीना से अपना कद बढ़ाया था। साथ ही हम यहां नयी तकनीकों का निर्माण भी करेंगे जिसके लिए हम चीन से मदद मांगते हैं।”
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि “अल क़ादिर यूनिवर्सिटी में 35 फीसद छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी।” इमरान खान ने लाहौर में कैंसर के अस्पताल का की स्थापना के बाद अपनी मातृभमि मिआँवली में नमल युनिवर्सिटी की स्थापना की थी, जिसे उन्होंने कैंसर अस्पताल के बाद अपनी दूसरी बड़ी उपलब्धि बताई थी।
उन्होंने कहा कि “हम इसे नमल युनिवर्सिटी के मॉडल की तरह ही चलाएंगे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना सरकारी फंड पर नहीं बल्कि प्राइवेट फंड को बढ़ाकर किया जायेगा।”
मानव संसाधन विकास पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विशेष सहायक ज़ुल्फ़िक़ार बुखारी ने कहा कि “पाकिस्तान की एक कल्याणकारी राज्य मे परिवर्तित करने का इमरान खान का एक नजरिया है जो मदीना के पदचिन्हो पर आधारित है। युवाओं के लिए इस्लामिक शिक्षा के बाबत ऐसे संस्थानों की स्थापना उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।”