इमरान खान ने गुरूवार को आगामी चीनी दौरे के बाबत उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी और कहा कि “चीन-पाक आर्थिक गलिये के दुसरे चरण में सरकार का फोकस कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में होगा।” इस माह के अंत में इमरान खान बीजिंग की यात्रा पर जायेंगे।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने सीपीईसी के तहत शुरू किये गए संयुक्त हितकारी परियोनाओं की समीक्षा की। प्रधानमंत्री दफ्तर से जारी बयान के मुताबिक, वजीर ए आजम ने बताया कि सीपीईसी के पहले चरण में कुछ पॉवर प्लांट और तीन सड़कों का निर्माण हुआ है।
मौजूदा सरकार के दूसरे चरण में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, कौशल आधारित शिक्षा, कौशल विकास, परिवहन प्रोजेक्ट, और मैन लाइन-1 विस्तार का कार्य पूरा हो जायेगा।
डॉन के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि “सरकार के लिए सीपीईसी ही सिर्फ एकमात्र सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है बल्कि वह चाहते हैं कि अन्य देश भी इस प्रोजेक्ट को ज्वाइन करें ताकि क्षेत्र में वृद्धि और समृद्धि के एक नए अध्याय की शुरुआत हो सके।”
इस बैठक में पाकिस्तानी विदेश मामलो के मंत्री शाह महमूद कुरैशी, सूचना मंत्री फवाद चौधरी, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान के मंत्री साहिबज़दा महबूब सुलतान, शिक्षा मंत्री शफ़क़त महमूद, रेल मंत्री शेख रशीद अहमद, ऊर्जा मंत्री ओमर अयूब खान और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल थे।
भारत ने साल 2017 में बीजिंग में आयोजित पहली बैठक का बहिष्कार कर दिया था। चीन की बीआरआई परियोजना के तहत चीन-पाक आर्थिक गलियारा परियोजना भारत की सम्प्रभुता का उल्लंघन करता है क्योंकि यह विवादित गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरता है।
चीन की आगामी बैठक के न्योते को भी भारत ने ठुकरा दिया है क्योंकि भारत की वाजिब चिंताओं का अभी तक चीन के कोई ठोस हल नहीं निकाला है। बीआरआई का बचाव करते हुए चीनी मंत्री ने भारत, अमेरिका और अन्य देशों के दावे को ख़ारिज कर दिया और कहा कि इस परियोजना से विकासशील देश कर्ज के जाल में नहीं फंसते हैं।”