पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान को अंतररष्ट्रीय संबंधो को स्थापित करने के आचरण के बारे में रत्ती भर की जानकारी नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने खान पर यूएन जनरल असेंबली में भड़काऊ और गैर जिम्मेदाराना बयान देने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा कि “उस मुल्क को भारत के साथ मैत्री संबंधो को स्थापित करने का ख्याल दिमाग में रखना चाहिए। उन्होंने यूएन में गैर जिम्मेदाराना और भड़काऊ बयानबाजी की थी। मेरे खयान से उन्हें नहीं मालूम कि अंतररष्ट्रीय संबंधो को कैसे स्थापित किया जाता है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “सबसे गंभीर चीज यह है कि वह खुलेआम भारत के खिलाफ जिहाद की मांग कर रहे हैं जो सामान्य नहीं है।” प्रवक्ता ने मलेशिया और तुर्की को भी सख्त सन्देश दिया है जिन्होंने यूएन मुलाकात में कश्मीर मामला उठाया था।
कुमार ने कहा कि “जम्मू कश्मीर ने विलय के दस्तावेजो पर हस्ताक्षर किये थे जैसे अन्य शाही राज्यों ने किये थे ,पाकिस्तान ने घुसपैठ की और गैर कानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर के भागो पर कब्ज़ा कर लिया। मलेशिया की सरकार को दोनों देशो के बीच मैत्री संबंधो को दिमाग में रखना चाहिए और ऐसे बयानों को देने से बचना चाहिए।”
अधिकारी ने कहा कि “इस मामले पर तुर्की का अगला कोई भी आने से पूर्व हम उन्हें जमीनी हकीकत से रूबरू कराएँगे। यह पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है।” यूएनजीए में पाकिस्तान ने भारत के निर्णय के खिलाफ वैश्विक नेताओं का समर्थन जुटाने का भरसक प्रेस किया था।
इमरान खान ने कहा था कि “जब दो परमाणु संपन्न देश टकराते हैं तो इसका असर समस्त राष्ट्र पर पड़ता है।” इसके जवाब में भारत ने कहा कि “जनरल असेंबली का दुरूपयोग किया जा रहा है। कूटनीति में अल्फाज मायने रखते हैं। तबाही, रक्तपात, बन्दूक उठाने और अंत तक लड़ने जैसे शब्दों का इस्तेमाल मध्यकाली युग की सोच को दर्शाता है यह 21 वीं सदी की मानसिकता नहीं है।”