पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि “मैं खुद को कश्मीर के राजदूत के तौर पर नियुक्त करता हूँ और आज़ादी हासिल नहीं होने तक लड़ाई को जारी रखेंगे।” उन्होंने सावधान कहा कि दोनों देश परमाणु संपन्न देश है और दोनों देशो के बीच युद्ध की स्थिति में, यह समस्त राष्ट्र को प्रभावित करेगा।”
उन्होंने कहा कि “मैं खुद को कश्मीर का राजदूत नियुक्त करता हूँ और अंत तक कश्मीर की आज़ादी की जंग को लड़ते रहेंगे। मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर के मामले को उठाऊंगा। मैं कश्मीरियों के लिए लड़ना जारी रखूँगा और मैं उनके साथ खड़ा रहूँगा।”
खान ने कहा कि “मोदी ने कश्मीर पर अपना आखिरी प्लेकार्ड खेल दिया है और अब पाकिस्तानी निर्णय लेगा कि क्या करना है।” स्वतंत्रता दिवस के भाषण में खान ने कहा था कि वह सभी कश्मीरियों के ब्रांड एम्बेसडर बनेगे और अंतरराष्ट्रीय मंचो पर इस मामले को उठाएंगे।
भाषण में खान ने दोहराया कि भारत में आरएसएस की विचारधारा से मुस्लिमो की आज़ादी नहीं चाहती है, वे सिर्फ हिन्दुओं की समृद्धता की तरफ देखते हैं। इससे पूर्व खान ने कहा था कि पाकिस्तान चाहता है कि विश्व समझे कि आरएसएस की विचारधारा नाजियों के जैसी है और आज के भारत मे सहिष्णुता और बर्दाश्त नही है।
मुहम्मद अली जिन्नाह को याद करते हुए इमरान खान ने कहा कि हमारे नेता ने पाकिस्तान को अलग राष्ट्र बनाने की मांग की थी कि वह समझते थे कि आरएसएस की विचारधारा देश में मुस्लिमो की आज़ादी नही चाहती है। वह मुस्लिमो के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं। जिन्नाह को मालूम था कि अगर ऐसा नही हुआ तो मुस्लिमो के साथ ऐसा ही व्यवहार होगा जैसा आज हो रहा है। इसमे कश्मीरी भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर मामले का वैश्विककरण करने में हमे सफलता हासिल हुई है। हमने वैश्विक नेताओं और दूतावासों से वार्ता की है। साल 1965 से यूएन ने पहली बार कश्मीर मामले पर बैठक बुलाई थी। जबकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसे उठाया था।