पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका से इस्लामाबाद लौटने के बाद वह तालिबान के अधिक प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे और उन्हें अफगान सरकार के साथ बातचीत की शुरुआत करने के लिए राज़ी करेंगे।”
तालिबान से बातचीत करूँगा
अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस में इमरान खान ने कहा कि “मैं तालिबान से मुलाकात करूँगा और अफगान सरकार के साथ बातचीत को उन्हें राजी करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूँगा। अफगानिस्तान में चुनाव समावेशी चुनाव होना चाहिए जहां तालिबान भी दावेदार हो।”
खान ने कहा कि “तालिबान के प्रतिनिधियों ने प्रधानमन्त्री बनने के बाद मुझसे मिलने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन मैंने इससे इंकार कर दिया था क्योंकि उस समय अफगानिस्तान की सरकार ऐसा नहीं चाहती थी।” तालिबान ने अफगानिस्तान की सरकार के साथ बातचीत के लिए निरंतर इंकार किया है।
तालिबान के मुताबिक, राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है। आंतरिक अफगान वार्ता का आयोजन अप्रैल के शुरुआत में होना था लेकिन काबुल के अधिकारीयों की सूची पर तालिबान ने असहमति जाहिर की थी और इस आयोजन को रद्द कर दिया गया था।
अफगानिस्तान के 50 आला राजनेताओं, नागरिक समाज के सदस्यों, युवाओं और पत्रकारों से क़तर की राजधानी दोहा में मुलाकात के लिए राज़ी हो गए थे।
क़तर की राजधानी दोहा में दो दिनों तक अफगानी अधिकारीयों और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण मामलो पर चर्चा हुई थी। दोनों पक्षों ने नागरिक हताहत को शून्य करने के लिए कार्य करने की जरुरत पर जो दिया है। साथ ही महिलाओं की राजनीति, सामाजिक, अर्थव्यवस्था, शैक्षणिक, सांस्कृतिक मामलो में भागीदारी को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया है।
तालिबान ने अफगानिस्तान में ‘धार्मिक केंद्रों, स्कूलों, अस्पतालों, शैक्षिक केंद्रों, बाजारों, पानी के बांधों और कार्यस्थलों’ पर हमलों को रोककर हिंसा को कम करने पर सहमति जताई है।