अमेरिका के दस सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को पत्र लिखा और आग्रह किया कि पाकिस्तान के सिंध में मानव अधिकार के उल्लंघन के मामले को पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान की आगामी बैठक में उठाये। 19 जुलाई को ट्रम्प को पत्र लिखा कि सांसदों ने मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलो को रेखांकित किया था।
मानव अधिकार का उल्लंघन
उन्होंने बताया कि “अमेरिका दक्षिणी एशियाई राष्ट्र को 30 अरब डॉलर से अधिक मदद मुहैया करता है, इसके बावजूद पाकिस्तानी प्रान्त में अभी भी मानव अधिकारों का उल्लंघन जारी है। यह मदद पाकिस्तान में सामाजिक और आर्थिक हालातो को बेहतर करेंगे। साथ ही अच्छे शासन का प्रचार करेंगे, सुधार अभी तक नहीं हुए हैं।”
सांसदों ने कहा कि “सिंध प्रान्त से अधिक किसी जगह ऐसे हालात नहीं है, यह प्रान्त कई आर्थिक और सामाजिक अन्यायों से जूझ रहा है जबकि यह पाकिस्तानी सरकार के नियंत्रण में हैं। सिंध प्रान्त में विफलताओं और अन्यायों को रेखांकित करते हुए सांसदों ने कहा कि “हाल ही में इस इलाके में एचआईवी की बीमारी फ़ैल गयी थी, जबरन गुमशुदगी, और हिन्दू लड़कियों का इस्लाम में परिवर्तन की खबरे ये थी।”
उन्होंने कहा कि “सिंध प्रान्त में सैकड़ो लोग लापता हुए हैं , इसमें लेखक, छात्र, पत्रकार, कार्यकर्ता और राजनेता शामिल है, जो मानव अधिकार के लिए अभियान चला रहे हैं। इनमे से कई लोगो की हत्या की गयी है और उनके परिवारों को न्याय नहीं मिला है। हिन्दू और ईसाई लड़कियों का जबरदस्ती अपहरण किया जाता है और उनका जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कर दिया जाता है।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तानी राज्य और उनके समर्थको द्वारा सिंध प्रान्त में इस अन्याय को अंजाम दिया जाता है।” स्वतंत्र पाकिस्तानी निगरानी समूह के मुताबिक, साल 2018 में अकेले सिंध प्रान्त में धर्म परिवर्तन के एक हजार मामले हैं। असल आंकड़ा इससे कई ज्यादा है। हैरतंगेज, सिंध में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कोई कानून नहीं है।”
एचआईवी से पीड़ित
पाकिस्तानी सूबा व्यापक स्वास्थ्य नजरंदाजी झेल रहा है और हाल ही में एचआईवी की बीमारी फैली थी और इसका कारण लगातार एक ही सिरिंज या सुई का इस्तेमाल करना है। इस साल के शुरुआत में एक शहर में 681 लोग एचआईवी पॉजिटिव थे, इसमें 537 बच्चे थे और इसके 16 महीने की बच्ची भी थी।
सांसदों ने कहा कि “सिंध प्रान्त में ऐसी बेतुकी नजरंदाजी पहली बार नहीं है, साल 2016 में भी ऐसा ही हुआ था। यह बीमारी का फैलाव बिल्कुल अस्वीकार है,खासकर जब अमेरिका साल 2001 से पाकिस्तान को 28.3 करोड़ डॉलर दे रहा है।”
उन्होंने कहा कि “आप पाकिस्तान का रवैया आतंकवाद जैसे मामले पर बदलना चाहते हैं तो यह जरुरी है कि आप पाक सरकार पर लोगो की जिंदगियों को सुधारने के लिए भी दबाव बनाये।”