Sat. Dec 28th, 2024
    डोनाल्ड ट्रम्प और इमरान खान

    पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान की आगामी यात्रा के दौरान अमेरिका उन पर अफगान शान्ति प्रक्रिया में मजीद सहयोग और आतंकवादियों पर सतत कार्रवाई करने करने के लिए दबाव बनायेंगे। पूर्व की तरह आँख में धूल झोखने से पाकिस्तान को आगे बढ़ना होगा, जो उन्होंने लश्कर ए तैयबा के नेता हाफिज  सईद और अन्य के मामले में किया था।

    अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि “हमने इससे पहले भी फिल्म देखी है।” पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री के साथ इस सोमवार को डोनाल्ड ट्रम्प की पहली मुलाकात होगी। अधिकारी ने बताया कि इस हफ्ते की शुरुआत में सईद की गिरफ्तारी साल 2001 से सातवीं दफा है। खान सरकार के अंतर्गत आतंकवाद को नेस्तनाबूत करने का संकल्प लिया गया था।

    अफगान शान्ति मुद्दे पर होगा फोकस

    अफगानी शान्ति प्रक्रिया इस मुलाकात का प्राथमिक फोकस होगा, पाकिस्तान के आतंक रोधी प्रयासों का आंकलन किया जायेगा। अद्गिकारी ने कहा कि “अगर पाकिस्तान आतंकवादियों और चरमपंथियों के सन्दर्भ में अपनी नीति को बदलता है तो संबंधों नको सुधारने और एक नहीं साझेदारी बनाने के लिए दरवाजे खुले हैं।”

    पाकिस्तान की आतंक रोधी कार्रवाई से ट्रम्प प्रशासन नाखुश था और डोनाल्ड ट्रम्प ने जनवरी में पाकिस्तान की सैन्य सहायता पर भी रोक लगा दी थी। सहायता को बहाल करने के बाबत अधिकारी ने कहा कि “हम रोक में परिवर्तन पर विचार करेंगे और इसका पैनमा अफ्गंसितन में सुरक्षा चिंताओं और आतंकवादी समूहों लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के संदर्भ में किया जायेगा।”

    ट्रम्प प्रशासन की योजना पाकिस्तान पर भारत-अफगानिस्तान व्यापार के लिए पानी मार्ग को खोलने के लिए भी दबाव बनाएगा। उन्होंने कहा की “हमारे विचार से यह एक सकारात्मक कदम है और यह एक समृद्ध, शांतिपूर्ण दक्षिण ऐसा की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा।”

    ट्रम्प और खान के बीच ट्वीटर पर बहस भी हो गयी थी। अमेरिका ने आरोप लगाया था कि इस्लामाबाद ने वांशिगटन को झूठ और धोखे के सिवाये कुछ नहीं दिया है। दोनों पक्षों का प्रमुख फोकस अभी अफगान शान्ति प्रक्रिया है।”

    तालिबान पर दबाव किये पाक जरुरी

    ट्रम्प प्रशासन इसे एक अवसर के तौर पर देखता है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शान्ति प्रक्रिया के लिए तालिबान पर पूरा प्रभाव और परिस्थितियों का फायदा उठाकर इस्तेमाल करेगा। इस कारण से ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान के प्रति अपने रुख में नरमी बरती है। अमेरिका का पूरा  फोकस अफगानिस्तान से बाहर निकलने और देश की सबसे बड़ी जंग को खत्म करने में हैं।”

    अधिकारी ने कहा कि “अमेरिका पाकिस्तानी पीएम के संकल्प का स्वागत करते हैं जिसमे उन्होंने चरमपंथी समूहों को अपनी सरजमीं का इस्तेमाल न करने देने की प्रतिज्ञा ली थी। लेकिन अब हम शान्ति प्रक्रिया के अहम मोड़ पर पंहुच गए हैं और पाकिस्तान से तालिबान पर स्थायी संघर्षविराम के लिए दबाव बनाने को कह रहे हैं और साथ ही आंतरिक अफगान में वार्ता में शामिल होने के लिए दबाव बना रहे हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *