पाकिस्तान के विदेश विभाग ने गुरूवार को ऐलान किया कि जल्द ही प्रधानमंत्री इमरान खान ईरान की यात्रा पर जायेंगे। यह यात्रा इस माह में होने की सम्भावना है। हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान की यात्रा की थी और सऊदी व ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि “पाकिस्तान दोहा में आयोजित अमेरिकी -तालिबान वार्ता में शामिल नहीं होगा हालाँकि अफगान शान्ति प्रकिया को उनका समर्थन है। पाकिस्तान वार्ता का हिस्सा नहीं बनेगा और हमने हमेशा अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन किया है। अफगानिस्तान में शान्ति के आगमन के लिए पाकिस्तान अपनी भूमिका अदा करता रहेगा।”
उन्होंने कहा कि “सभी विवादों के समाधान के लिए बातचीत सबसे उपयुक्त मार्ग है।” रुसी सरकार 14 व 15 अप्रैल को इंट्रा-अफगान वार्ता का आयोजन करने जा रही है। इस वर्ष फरवरी में ऐसी ही बैठक का आयोजन हुआ था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “अफगानिस्तान में शान्ति लाने के मकसद से आयोजित बैठक को पाकिस्तान का समर्थन है। कश्मीर में भारत की बर्बरता पर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देने की मांग को दोहराता है। पाकिस्तान ने बेहतर भाव से 16 अप्रैल को करतारपुर साहिब पर भारतीय अधिकारीयों के साथ मुलाकात पर रज़ामंदी जाहिर की थी।”
हाल ही पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि “ख़ुफ़िया सबूतों के मुताबिक भारत के हमला करने की सम्भावना है। इस बाबत प्रवक्ता ने कहा कि “हमारे पास विश्वसनीय खुफिया जानकारी है कि भारत आगामी दिनों में पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। इसलिए विदेश मंत्रालय ने इसे सार्वजानिक स्तर पर जाहिर किया था।”
उन्होंने कहा कि “विदेश सचिव ने भारत की आक्रमकता के बाबत पी-5 देशों को बताया है।” 7 अप्रैल को विदेश मंत्री ने विश्व को चेतावनी दी थी कि भारत पाकिस्तान पर एक और हमले की योजना बना रहा है और यह हमला 16 से 20 अप्रैल के बीच कभी भी हो सकता है।
मोहम्मद फैसल ने कहा कि “भारतीय आक्रमकता का जवाब पाकिस्तान ने बगैर किसी विदेशी सहायता के दिया है और भविष्य में भी ऐसा ही होगा।”