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    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की वित्तीय सहायता पर निर्भरता को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। पाक पीएम ने बीआरआई के मंच को अन्य देशों से अनुदान के लिए इस्तेमाल किया था। बीजिंग ने तीन दिनों का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समारोह का आयोजन हो रहा है और इसमें इमरान खान भी शामिल हुए हैं।

    शुक्रवार को मंच पर भाषण के दौरान इमरान खान ने कहा कि “मैं इस अवसर को भुनाना चाहता हूँ और आप सभी हमारे उदार विदेशी निवेश शासन में और हमारी अर्थव्यवस्था में भागीदारी के लिए आमंत्रित है। आप रेलवे, बाँध, आईटी और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं।”

    पाकिस्तान और चीन एक-दूसरे को सदाबहार दोस्त कहते हैं और अपनी दोस्ती को हाइपरबोला यानी हिमालय से ऊँची और समंदर से गहरी करार देते हैं लेकिन बीते कुछ समय में दोनों के संबंधों में सिकुड़न का भान हुआ है। पाकिस्तान ने सऊदी अरब से 6 अरब डॉलर की मदद ली थी लेकिन चीन ने आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के प्रधानमंत्री के आग्रह पर जवाब देने में महीनो का वक्त लिया था।

    बीजिंग में इमरान खान ने सम्मेलन के इतर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रबंधक निदेशक क्रिस्टीन लगार्डे से मुलाकात की थी। आईएम से राहत पैकेज लेने के लिए पाकिस्तान अभी भी मशक्कत कर रहा है लेकिन वैश्विक संस्था को भय है कि पाकिस्तान इस धनराशि का इस्तेमाल चीन के कर्ज को चुकाने के लिए करेगा।

    भारत ने चीन में आयोजित समारोह का बहिष्कार किया है क्योंकि सीपीईसी परियोजना पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी और इससे भारत की राष्ट्रीय सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को आघात पंहुचेगा। भारत ने चेतावनी दी थी कि बीआरआई परियोजना और चीनी वित्तीय प्रणाली गरीब मुल्कों को कर्ज के जाल में फंसा लेगी।

    जानकारों के मुताबिक इस सम्मेलन के बहिष्कार से भारत को आर्थिक लिहाज से कोई नुकसान होगा। मंच पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि “बीआरआई की व्यापक आलोचना का वह सम्बोधन करने के लिए हैं जैसे पारदर्शिता की कमी, पर्यावरण जोखिम और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना में विदेश कंपनियों को शामिल करने की अनिच्छा है।

    उन्होंने कहा कि “सब कुछ एक पारदर्शी तरीके से संपन्न होगा और भ्रष्टाचार पर हमारी जीरो टोलेरेंस पॉलिसी है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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