लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में इबोला वायरस के प्रकोप से मृतकों की संख्या 1008 तक पंहुच चुकी है। यह वायरस ने बीते वर्ष अगस्त से कांगो में कहर बरपाया है। 1510 मामले उत्तरी किवू और लटूरी प्रांतो में दर्ज हुए हैं और उसमे से 400 मरीज ठीक हो गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, स्वास्थ्य केन्द्रो और समुदायों पर हिंसक हमलो के कारण कांगो में बीते कुछ हफ्तों से इबोला के मामले में निरंतर प्रगति हो रही है। जनवरी से हम पर 119 अलग से हमले हुए थे, जिसमे से 85 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हुए थे और इसमें कुछ की मौत हो गयी और कुछ बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
साल 2014 में इबोला के वायरस से 11000 लोगो की पश्चिमी अफ्रीका में मृत्यु हुई थी और इसके बाद इबोला का प्रकोप झेलने वाला विश्व का दूसरा देश कांगो है। इबोला सबसे पहले साल 1976 में सूडान में देखा गया था और इसका बाद यह कांगो में फ़ैल गया था।
यह वायरस जंगली जानवरो से इंसानो में फ़ैल सकता है। इस बीमारी के लक्षण बुखार, सिरदर्द और निरंतर रक्त प्रवाह होते हैं। साल 2014 में इसके प्रकोप के बाद यह वायरस पश्चिमी अफ्रीकी देशों लाइबेरिया, गुइंया और सिएरा लियॉन में करीब 28600 लोगो में फ़ैल गया था।
साल 2014 में इबोला के प्रकोप को अंतर्राष्ट्रीय एमेजेन्सी न ऐलान करने के लिए डब्ल्यूएचओ की काफी आलोचना हुई थी। इसमें 1000 से अधिक लोग मरे थे और इसके वायरस सीमा पार भी फैला था।
तारिक़ रबी ने बताया कि “अधिकारी इस बात से बेखबर है कि देश में कितने इबोला के मामले हैं और यही इसे रोकने में सबसे बड़ी बाधा है। हम लोगो की खोज कर रहे हैं। कई मामले को गोपनीय रखा जाता है और विभागों को कभी सूचित नहीं किया जाता है। यह अगले छह महीने से पहले खत्म होने वाला नहीं है।”