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    संयुक्त राष्ट्र इजरायल

    इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की सदस्यता छोड़ने की पुष्टि की है। इजरायल ने करीब दो महीने पहले ही कहा था कि वह यहूदी राष्ट्र की आलोचना करने वाले प्रस्तावों पर अमेरिका की ओर से यूनेस्को की सदस्यता छोड़ने के कदम का अनुकरण करेगा।

    अब इजरायल ने औपचारिक तौर पर यूनेस्को को बताया है कि वह 31 दिसंबर 2018 से यूनेस्को का सदस्य नहीं रहेगा। यूनेस्को की प्रमुख ऑड्रे अजूले ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर बताया गया कि इसराइल 31 दिसंबर 2018 को यूनेस्को की सदस्यता छोड़ देगा।

    यूनेस्को की प्रमुख ऑड्रे अजूले ने इजरायल के इस निर्णय पर गहरा अफसोस व्यक्त किया है। इन्होंने कहा कि यूनेस्को के अंदर रहकर भी देश अपने मतभेदों को सुलझाने का सर्वोत्तम प्रयास कर सकता है।

    यूनेस्को प्रमुख ने कहा कि साल 1949 से इजरायल संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अंदर सही स्थान पर रहा है। इजरायल की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यूनेस्को प्रतिबद्ध है। इजरायल ने यूनेस्को के सदस्य देख के रूप में शिक्षा के अनूठे कार्यक्रम, नरसंहार व नस्लवाद की रोकथाम के लिए प्रयास किए है।

    अमेरिका भी छोड़ेगा यूनेस्को की सदस्यता

    यूनेस्को संगठन के अंदर इजरायल एक ऐसा सदस्य देश है जो विभिन्न संस्कृतियों के बीच वार्तालाप को बढ़ावा देने, हिंसक उग्रवाद से लड़ने और आतंकवादी संगठनों के विनाशकारी कृत्यों से विशेष रूप से प्रभावित विरासत को संरक्षित करने में हमेशा से सक्रिय रहा है।

    प्रमुख ने आगे कहा कि सदस्य देशों के जो भी असहमति है उसे निरंतर वार्ता, सहयोग और साझेदारी के साथ सुलझाया जा सकता है।

    गौरतलब है कि साल 2011 में फिलीस्तीन को यूनेस्को के सदस्य देश के रूप में शामिल किए जाने के बाद अमेरिका व इजरायल ने विरोध किया था। तब से ही इनमें तनाव देखा गया है।

    इससे पहले अमेरिका ने भी 12 अक्टूबर को कहा था कि वो भी यूनेस्को की सदस्यता वापस लेना चाहता है और यूनेस्को के लिए एक स्थायी पर्यवेक्षक मिशन स्थापित करना चाहता है। अमेरिका भी 31 दिसंबर 2018 तक ही यूनेस्को का पूर्ण सदस्य रहेगा।