रविवार को संयुक्त बयान में कहा कि ” ‘शान्ति से समृद्धता’ वर्कशॉप एक आधारभूत अवसर है जिसमे विचार साझा होंगे, रणनीतियों पर चर्चा होगी और आर्थिक निवेश व पहलो के लिए केंद्रीय समर्थन होगा और यह सिर्फ शान्ति समझौते से ही मुमकिन हो सकता है।”
शान्ति योजना में अमेरिका फिलिस्तीन में आर्थिक निवेश पर जोर देगा। अमेरिकी प्रशासन लम्बे समय से बंद पड़ी योजना का खुलासा कर सकते हैं। अफवाहों के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार इस योजना को सफल करने में असफल साबित हुई है। यह अगले माह संभावित है लेकिन फिलिस्तानियों ने इस योजना से इंकार कर दिया है क्योंकि यह इजराइल के स्मार्टन अधिक पक्षपाती है।
डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद और वरिष्ठ सलाहकार जार्ड कुशनर इस प्रस्ताव के प्रमुख रचियता है। उन्होंने कहा कि “मनामा की मुलाकात क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को कायम रखने के लिए विचारो को प्रस्तावित करना एक अवसर है। फिलिस्तीन की आवाम मध्य पूर्व में अन्य लोगो के साथ गौरवपूर्ण भविष्य के हकदार है और जीवन यापन के लिए बेहतर अवसर के हकदार है।
न इजराइल और न ही फिलिस्तीन ने इस वर्कशॉप में शामिल होने की पुष्टि की है। पीए के प्रवक्ता नबील अबुइ रुदेनेह ने कहा कि “कोई भी आर्थिक योजना बगैर राजनीतिक क्षितिज के मुमकिन नहीं है। फिलिस्तीनी ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे जिसमे पूर्वी येरुशलम उसकी राजधानी के रूप में शामिल न हो।”
अमेरिका की शान्ति योजना को फिलिस्तीन ने प्रकाश में आते ही मृत घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि “गोलन हाइट्स पर इजराइल की सम्प्रभुता का समर्थन और अपने दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम में शिफ्ट करना साबित करता है कि यह योजना अपनी मांगो को नहीं पूरा कर पाएगी।”