इजराइल की सैन्य संस्था ने कहा कि “गाज़ा के जलीय इलाके में मछली पकड़ने वाली फिलिस्तानी नावों के आने पर लगी पाबन्दी को शुक्रवार को हटा दिया गया।” इस माह के शुरुआत में शुरू हुए हिंसक तनावों के कारण यह प्रतिबन्ध यह प्रतिबन्ध थोपा गया था।
यह कार्रवाई संघर्षविराम समझौते को अमल में लाने की तरफ पहला कदम है ताकि फिलिस्तानी चरमपंथियों और इजराइल की सेना के बीच नए संघर्ष को शुरू होने से बचा जा सके। इजराइल की सैन्य संस्था कोगट ने कहा की “शुक्रवार से गाज़ा पट्टी फिशिंग ज़ोन को 12 नॉटिकल मील तक दोबारा खोले जाने की संभावना है।”
उन्होंने कहा कि “इस कदम की एक शर्त है कि गाज़ा पट्टी के मछुवारो को इस समझौते का पालन करना होगा। इजराइल की नौसेना ने गाज़ा के मछुवारो पर गोलीबारी भी की थी उनके मुताबिक मछुवारे संख्या में काफी अधिक थे। गाज़ा की फिशिंग यूनियन ने प्रतिबंद हटने की पुष्टि की है।
हमास और उसके सहयोगी इस्लामिक जिहाद ने शनिवार और रविवार को इजराइल पर सैकड़ो राकेट दागे थे। इसके प्रतिकार में सेना ने गाज़ा पर दर्जनों ठिकानों को अपना निशाना बनाया था। इसमें चार इजराइल के नागरिकों और 25 फिलिस्तानियों की मौत हो गयी थी। इसमें नौ चरमपंथी भी शामिल है।
रॉकेट दागने के बाद कोगट ने इजराइल और गाज़ा के बीच फिशिंग जोन और सीमा पार करना, दोनों नागरिकों और उत्पादों के लिए बंद कर दिया था।
फिलिस्तानी अधिकारीयों ने कहा कि “इजराइल ने गरीब इलाके में शान्ति के बदले दशकों से जारी गंभीर पाबन्दी को हटाने पर सहमति जाहिर की है।” इजराइल ने सार्वजनिक तौर इस समझौते की पुष्टि नहीं की है। हालाँकि बयान में सीमा को दोबारा खोलने के बाबत नहीं बताया गया था।
इजराइल ने कहा कि “गाज़ा के इस्लामिक हुक्मरान हमास को अलग थलग करने के लिए नाकेबंदी जरुरी थी।” साल 2008 से दोनों पक्षों के बीच तीन जंग हो चुकी है। आलोचकों के मुताबिक इस जंग की सज़ा गाज़ा के 20 लाख लोगो को भुगतनी पड़ी है।