ओमान ने बताया की इजरायल को मिडिल ईस्ट के देशों का हिस्सा मान लिया गया है। बहरीन में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में ओमान के विदेश मंत्री ने इजरायल और फिलिस्तीन के मध्य शांति की स्थापना के बाबत सलाह दी लेकिन शांति में बिचोलिये बनने की भूमिका से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा कि इजरायल इस क्षेत्र का देश है और इसे हम समझते हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि इजरायल के साथ भी अन्य देशों की तरह सुलूक किया जाए।
हाल ही में इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामीन नेतन्याहू दौरे पर ओमान गए थे। इससे कुछ दिन पूर्व ही फिलिस्तान के मंत्री भी ओमान के दौरे पर थे। दोनो देशों के राष्ट्रपतियों ने ओमान के सुल्तान से मुलाकात की थी। ओमान के विदेश मंत्री ने सम्मेलन में कहा कि हम नही कह सकते है कि रास्तों पर फूल बिछे हुए है लेकिन हमारी प्राथमिकता दोनो देशों के मध्य विवाद को रोकना है।
बहरीन के विदेश मंत्री ने ओमान का समर्थन किया और कहा कि इजरायल और फिलिस्तान में शांति के लिए सल्तनत प्रयास कर रहा है। वही सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें यकीन है कि शांति प्रक्रिया के जरिये सभी मतभेद समाप्त हो जाएंगे।
इन तीन दिवसीय सम्मेलन में सऊदी अरब, बहरीन, अमेरिका, जर्मनी और इटली के विदेश मंत्रियो ने शिरकत की थी। जॉर्डन के किंग बाढ़ की वजह से आयोजन में शामिल नही हो पाए थे।
ओमान ने साल 2013 में अमेरिका और ईरान के मध्य संधि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके दो वर्ष बाद दोनों राष्ट्रों के मध्य परमाणु संधि हुई थी। इस वर्ष के शुरुआत में ओमान के विदेश मंत्री ने इजरायल के अल अक़्सा मस्ज़िद की यात्रा की थी। ओमान और इजरायल कई बार मज़बूत संबंध होने के संकेत दे चुके हैं।
बेंजामिन नेतान्ह्यू ने इजराइल के सदन में कहा कि ईरान से परमाणु खतरे के डर के कारण इजरायल और अरब देशों में नजदीकियां बढ़ी है। पूर्व में कई इजरायली नेताओं ने अरब देशों की यात्रा की है।
साल 1996 में महरूम सिमन पेरेस ने ओमान और क़तर की यात्रा की थी। साल 1994 में यितजयक राबिन ने पहली बार ओमान की यात्रा की थी।