अमेरिका ने ईरानी तेल खरीदने वाले सभी देशों को दी गयी रिआयत को खत्म करने का निर्णय लिया है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस के निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा कि “ईरान पर दबाव बनाने के लिए इसकी बेहद अधिक महत्वता है।”
बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान में कहा कि “अमेरिकी प्रशासन और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लिए गए निर्णय की, ईरानी आतंकी सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए बेहद जरुरी है। ईरान के आक्रमक रवैये के खिलाफ हम अमेरिका के दृढ संकल्प के साथ खड़े है और यह उन्हें रोकने का सही मार्ग है।”
ईरान का सबसे बड़ा दुश्मन इजराइल है और तेल अवीव अमेरिका का सबसे करीबी दोस्त है। अमेरिका ने बीते वर्ष ईरान के साथ हुई संधि को तोड़कर प्रतिबन्ध लगा दिए थे जिसमे तेल सौदेबाज़ी भी शामिल थी लेकिन वांशिगटन ने आठ देशों को रिआयत बरतते हुए तेल खरीदने की छह माह तक की छूट दी थी लेकिन अमेरिका ने मंगलवार को ऐलान किया कि वह सभी देशों की रिआयत को खत्म कर रहा है।
पिछले साल नवंबर में विदेश विभाग ने आठ देशों को ईरान से तेल आयात के बदले अन्य विकल्प तलाशने के लिए 180 दिनों की छूट दी थी। बीते वर्ष नवंबर में राज्य विभाग ने आठ देशों को 180 दिनों की मोहलत दी थी ताकि वैकल्पिक स्त्रोतों को खोजा जा सके।
ईरान के तेल के सबसे बड़े विक्रेता चीन और भारत है। अगर यह दोनों देश ट्रम्प की मांगो को ख़ारिज करतेकरते हैं तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकता है। दक्षिण कोरिया और जापान पहले से ही ईरान के तेल पर कम निर्भर थे। इस कदम का प्रभाव वैश्विक तेल बाज़ार पर भी होगा।