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    ग्लोबल सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस ने बुधवार को कहा कि वह अपने तकनीशियनों के लिए बी-1 वीजा से जुड़े आरोपों पर कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल के साथ एक समझौता कर चुकी है। इंफोसिस कंपनी के सचिव ए.जी.एस. मणिकंठ ने बीएसई में एक नियामक दाखिले में कहा, “हमारा समझौता 2006 के बी-1 वीजा पर यात्रा करने वाले कुछ कर्मचारियों के लिए स्टेट पेरोल करों के भुगतान से संबंधित आरोपों की कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल की जांच के निष्कर्ष पर पहुंच चुका है।”

    11 अरब डॉलर की आउटसोर्सिग कंपनी ने कहा, “हम आरोपों पर विचार करते हैं और हम स्वीकार करते हैं कि इस मामले कोई गलती नहीं हुई है।”

    कंपनी ने यह भी दोहराया कि वह सभी लागू नियमों और कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीतियों व प्रक्रियाओं को बनाए रखती है।

    हालांकि, बेंगलुरू की कंपनी ने कोर्ट से बाहर वीजा धोखाधड़ी विवाद को निपटाने के लिए कैलिफोर्निया राज्य को दिए गए जुर्माने को साझा करने से इनकार कर दिया।

    कंपनी ने यह भी खुलासा करने से इनकार किया कि इंफोसिस के कितने कर्मचारियों को बी-1 वीजा के तहत काम करने के लिए कैलिफोर्निया में भेजा गया है। बी-1 वीजा एक बिजनेस वीजा है जो एच1-बी की तरह व्यक्ति को कार्य करने की इजाजात नहीं देता। एच1-बी व्यक्ति को कार्य करने की इजाजत देता है।

    एक स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, 13 साल के लंबे मामले में अमेरिका के आव्रजन नियमों का उल्लंघन कर 500 कर्मचारियों को कैलिफोर्निया भेजने के लिए इंफोसिस ने 8,00,000 डॉलर या 57 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

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