विश्व की छठी अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया की साल 2000 से जीडीपी निरंतर 5 फीसदी से अधिक पर बरकरार है और लगातार इसमें वृद्धि हो रही है। भारत विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बानी हुई है और सीईओवर्ल्ड के मुताबिक साल 2030 में भारत की रैंकिंग तीसरे पायदान पर होगी। इसके बावजूद भारत ने इंडोनेशिया में निवेश के मौको को गंवाया है।
इंडोनेशिया की इन्वेस्टमेंट कोऑर्डिनेटिंग बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में इंडोनेशिया में भारत का निवेश करीब 8.2 करोड़ डॉलर था। साल 2014-2018 पांच वर्षों के अंतराल में भारत का निवेश औसत 10 करोड़ डॉलर रहा है और यह आंकड़ा बढ़ा क्योंकि साल 2017 में 28.6 करोड़ डॉलर के निवेश किया था।
अडानी पोर्ट्स ने साल 2017 में यह निवेश सिलेगों शहर के बनतेन प्रान्त में नए कंटेनर पोर्ट किया था। यह जकार्ता से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। साल 2016 में इंडोनेशिया में भारत का निवेश मात्र 5.5 करोड़ डॉलर था।
साल 2018 में इंडोनेशिया में सबसे बड़ा निवेशक सिंगापुर है जिसने 9.2 अरब डॉलर का निवेश किया है और इसके बाद जापान ने 4.9 अरब डॉलर, चीन ने 2.4 अरब डॉलर, हांगकांग ने 2 अरब डॉलर शामिल है। विदेशी निवेशकों की सूची में भारत का स्थान 25 वां है।
जकार्ता में आयोजित इंडिया-इंडोनेशिया इंफ्रास्ट्रक्चर फोरम के दूसरे सत्र में इंडोनेशिया में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने कहा कि “दोनों देशों को वैश्विक तौर पर सब तेज़ बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के तौर पर मान्यता दी गई है और हमारे समक्ष समान चुनौतियाँ और अवसर है। दोनों के बीच इंफ्रास्ट्रचर में कमी की खाई अभी भी है।”
जकार्ता पोस्ट से बातचीत में रावत ने कहा कि “भारतीय निवेशक सड़क कार्य, शहरी रेलवे, तेल, एयरपोर्ट,स्वास्थ्य उद्योग और गैस में निवेश के इच्छुक है। इन क्षेत्रों में भारतीय कारोबार को इंडोनेशिया की कपंनियों के साथ मुनाफा होगा।भारत की कंपनियां अपनी विशेषज्ञ को इंडोनेशिया के साथ साझा कर सकती है जैसे विश्व की सबसे कम कीमत के मेट्रो प्रोजेक्ट का निर्माण कैसे हुआ।”
इस समारोह में इंडोनेशिया के मेरीटाइम अफेयर के मंत्री लुहूत पंडजाइतन ने कहा कि “सरकार से अधिक तकनीक को सीखने के लिए आगे बढ़ रही है।” इंडोनेशिया में भारत का अधिकतर निवेश लकड़ी के उत्पादों, ट्रेड कारोबार, फ़ूड उत्पादन और टेक्सटाइल में हैं, जबकि इंडोनेशिया के अधिकारी भारत से भविष्य में इंफ्रास्ट्रचर और उच्च उद्योगों और जावा के बाहर निवेश देखना चाहते हैं।”
भारतीय कंपनियों के लिए इंडोनेशिया में निवेश करने में चुनौतियाँ भी कम नहीं है। पहला, भारतीय नागरिकों के लिए वीजा प्रक्रिया या परमिट मिलना आसान नहीं है। इस मसले को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री ने सम्बंधित विभागों के समक्ष उठाया था। विश्व के इंडोनेशिया करोबारी हितेषी मुल्क नहीं है। साल 2019 में विश्व बैंक की कारोबार की सूची में 190 देशों में 73 वें पायदान पर था।
इंडोनेशिया में कारोबार को स्थापित करने वालो को नियमो और सांस्कृतिक गतिशीलताओं से जूझना पड़ता है जो किसी बाहरी के लिए अनोखा होगा। कारोबार में अन्य बाधाएं, क्रेडिट की कीमतों में उछाल, गैर अनुमानित नियम, संरचना की बेकार गुणवत्ता, बदहाल कानूनी फ्रेमवर्क, भ्रष्टाचार और आतंकी जोखिम शामिल है।
इंडोनेशिया में बेहद विविध जनसँख्या है। यहां उच्च स्तर की बेरोजगारी और कई क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी है। यहां विदेशियों के लिए व्यापार शुरू करना जटिल, महंगा और समय लेने वाला होगा। इंडोनेशिया में एक कंपनी की स्थापना के लिए 9 विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है और इसके लिए 3 से 6 महीने या इससे अधिक समय लग सकता है। यहां कई ऐसे क्षेत्र है जो विदेशों के लिए वर्जित या बंद है।
विदेशियों के लिए वन विभाग, बस/टैक्सी परिवहन, छोटे स्तर की जल ट्रांसपोर्ट सर्विस, प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया, फिल्म, सिनेमा, एक्सहिबिशन में निवेश करना वर्जित है। 26 करोड़ की जनसँख्या के साथ इंडोनेशिया समृद्ध बनकर उभर रहा है और माध्यम वर्ग की बेहतर सुविधाओं और उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इंडोनेशिया में कारोबार की शुरुआत के लिए दृढ़ संकल्पित और संयम होना जरुरी है और इसे सहित स्ट्रेटजी से शुरू करना है और यह बेहद इनाम लौटाएगी।