इंडोनेशिया के बाली द्वीप के पास अगुंग पर्वत में ज्वालामुखी में लगातार विस्फोट हो रहा है। जिसके चलते बाली के एयरपोर्ट को 24 घंटों के लिए बंद कर दिया है और बाली की करीब 445 उड़ाने बाधित हुई है।
ज्वालामुखी में लगातार विस्फोट होने से धुंआ व राख काफी ऊपर तक उठती हुई दिख रही है। अगर फोटो के माध्यम से देखा जाए तो एकदम से अगुंग पर्वत पर से विस्फोट नहीं हुआ है। आइए विभिन्न फोटो के जरिए ज्वालामुखी विस्फोट के बारे में जानते है-
उठती हुई भांप की तस्वीर
अगर दो महीने पहले अगुंग पहाड़ की तस्वीरों को देखा जाए तो कही भी नहीं लगता है कि ज्वालामुखी में विस्फोट हो जाएगा। सिर्फ पहाड़ के ऊपर भांप को ही उठता हुआ देखा गया।
जो कि ज्वालामुखी के अंदर पानी के गर्म होने से अपनी सतह से बाहर निकलता था। ज्वालामुखी राख और लावा का मिश्रण जिससे पहाड़ बना है। लेकिन शुरूआती तस्वीरों से ज्वालमुखी विस्फोट का पता लगाना कठिन है।
चट्टानों से बनी राख का सघन झुंड
पिछले गुरूवार को करीब 50 सालों के बाद ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ। इस विस्फोट को फुफ्फुस की तरह माना गया। अगुंग पहाड़ के अंदर मेग्मा के गर्म होने से चट्टान राख के टुकड़ो में तब्दील होने लगी। पहाड़ के अंदर मेग्मा जैसे-जैसे बढ़ता है वो चट्टानों को तोड़ता है।
मैग्मा चढ़ने से ज्वालामुखी के अंदर पानी गरम होता है। मेग्मा ज्वालामुखी को इतने ऊपर तक ले जाता है कि उसे रोकने के लिए पर्याप्त चट्टान नहीं है। इसलिए ज्वालमुखी से चट्टान राख के टुकड़ों के रूप में उड़ रही है।
ज्वालामुखी पहाड़ से नारंगी चमक दिखना
पहाड़ में रात के समय पर ज्वालामुखी पहाड़ के मुख के ऊपर नारंगी चमक केवल जलन की तरह होती है। यह काफी गर्म होती है। मेग्मा सतह पर है और ये जैसे ही सतह तक पहुंचता है लावा के रूप में जाना जाता है। इस फोटो को देखने से लगता है ति मेग्मा काफी ऊंचे स्तर तक हो चुका है। जिसने चेतावनी के स्तर को चार गुना तक बढ़ा दिया।
सूर्योदय में ज्वालमुखी
सुबह के समय में पहाड़ में से निकले धुएं में गुलाबी और नारंगी रंग के शानदार चित्रों के लिए मेग्मा जिम्मेदार नहीं है। गुलाबी और नारंगी रंग केवल सूरज निकलने की वजह से दिखाई देता है। सूरज की किरणे ज्वालामुखी राख को मारने वाली होती है।
राख के अलग-अलग रंग
ज्वालामुखी की सतह से उठने वाले राख के विभिन्न रंगों से बहुत कुछ देखने को मिलता है। पहाड़ में दो तरह के रंगों में से एक तो अधिक राख उत्पादन कर रहा और दूसरा अधिक भाप का उत्पादन करता हुआ दिख रहा है। इसका कारण पहाड़ में दो छेद होना है।
कीचड व मलबे की नदियां
बाली के पास पहाड़ में से ज्वालामुखी राख जब बरसात में मिल जाता है तो राख और चट्टान बारिश के पानी के साथ बहकर कीचड़ में तब्दील हो जाती है। पहाड़ से निकली हुई चट्टाने बारिश की वजह से नदी में भी मिल जाती है जिससे नदी का स्तर बहुत जल्दी से बढ़ जाता है और उसमें मलबा आ जाता है।