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    नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)| नया व्हिसलब्लोअर सुरक्षा संशोधन विधेयक, 2015 लोकसभा में साल 2014 में पारित हुआ है। यह विधेयक व्हिसलब्लोअरों को भ्रष्टाचार और अधिकारों के दुरुपयोग का खुलासा करने के लिए संरक्षण प्रदान करता है।

    व्हिसलब्लोअरों ने हाल के दिनों में शेयरधारक के हितों की रक्षा करने और उनकी सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे वह रैनबैक्सी का मामला हो या इंफोसिस या आईसीआईसीआई का मामला हो, कंपनियों में गंदगी को साफ करने और यहां तक कि प्रबंधन में मदद करने में व्हिसलब्लोअर मददगार हैं।

    वहीं, अभी चल रहे इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लि. (आईएचएफएल) मामले में यह सच नहीं है। क्योंकि दो कथित व्हिसलब्लोअरों -अभय यादव चार शेयरों और विकास शेखर दो शेयरों के साथ कंपनी को लगभग ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रहे हैं। क्या सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी उन्हें व्हिसलब्लोअर्स विधेयक के तहत संरक्षण देने जा रहे हैं या कथित भ्रष्टाचार को कथित उजागर करने के लिए उन्हें पुरस्कृत करने जा रहे हैं?

    याचिकाकर्ता और आईएचएफएल शेयरधारकों में से एक अभय यादव ने आरोप लगाया कि समीर गहलौत ने हरीश फैबियानी (स्पेन के एक एनआरआई) की मदद से कथित रूप से कई ‘छद्म कंपनियों’ का निर्माण किया, जिसे ‘आईएचएफएल ने भारी रकम कर्ज के रूप में दिया, जबकि ये कंपनियां फर्जी थीं।’

    वहीं, आईएचएफएल ने बुधवार को इसका जवाब देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में उसके खिलाफ दायर याचिका की तत्काल सुनवाई की मांग की, जिसमें कंपनी पर 98,000 करोड़ रुपये सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप है।

    कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने एक अवकाश पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की। इस पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी शामिल थे। सिंघवी ने पीठ को बताया कि याचिका में कंपनी के खिलाफ तुच्छ आरोप लगाए गए हैं और याचिका मीडिया में लीक हो गई है।

    उन्होंने कहा कि कंपनी के खिलाफ याचिका दायर करने के बारे में प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों के कारण, आईएचएफएल ने अपनी बाजार हिस्सेदारी का लगभग 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है। पीठ ने कहा कि वह इसकी तत्काल सुनवाई पर दिन के दौरान निर्णय लेगी।

    सोमवार को एक ताजा और विचित्र मोड़ में, वकील किसलय पांडे ने वित्तमंत्री को पत्र लिखकर अपने मुवक्किल -अभय यादव और विकास शेखर- को इंडियाबुल्स हाउसिंग के कर्मचारियों और हरियाणा पुलिस से सुरक्षित रखने की मांग की।

    इस आरोप-प्रत्यारोप के खेल में कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है और कंपनी के शेयर रोज गिर रहे हैं।

    बुधवार को, यह फिर से 7.88 फीसदी या 53.15 रुपये की गिरावट के साथ 621.40 पर बंद हुआ। सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को इस मामले में व्हिसिलब्लोअरों की स्थिति और उनकी याचिका पर कार्रवाई की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। सत्य की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण होना चाहिए।

    इसके अलावा, सेबी ने व्हिसलब्लोअरों को पुरस्कृत करने की योजना बनाई है। सेबी ने कहा कि वह मुखबिर को घोटाले की पकड़ी गई रकम का 10 फीसदी देकर पुरस्कृत करेगी, हालांकि यह रकम एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी। सेबी ने कहा कि पुरस्कार का भुगतान निवेशक सुरक्षा और शिक्षा निधि (आईपीईएफ) से किया जाएगा।

    निवेशकों के हितों की रक्षा करने और इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए, नियामक सेबी ने एक मुखबिर तंत्र का प्रस्ताव दिया है, जिसमें वास्तविक व्हिसलब्लोअर को कंपनी में धोखाधड़ी और गलत कामों को उजागर करने के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। सेबी ने कहा कि यह इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों का जल्द पता लगाने के लिए तंत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।

    नियामक ने कहा कि मुखबिर को पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान किया जाएगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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