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    भारत आसियान सम्बन्ध

    पिछले 25 सालों में भारत और आसियान देशों के बीच में संबंध काफी मजबूत बने है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपीन्स, मलेशिया, ब्रुनेई, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार और वियतनाम जैसे देश शामिल है। भारत व आसियान के बीच में बहुपक्षीय संबंधों का विकास देश में आर्थिक उदारीकरण के बाद से देखा गया है। 12वीं आसियान भारत समिट और 9वीं पूर्वी एशिया समिट नवंबर 2014 में म्यांमार में आयोजित की गई थी। यहां पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने औपचारिक रूप एक्ट ईस्ट पॉलिसी को मंजूरी दी।

    आसियान के अलावा भारत ने इस क्षेत्र में बिम्सटेक, एमजीसी के साथ नीतिगत पहल की है। भारत एशिया-यूरोप बैठक (एएसईएम), पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस), आसियान क्षेत्रीय फोरम (एआरएफ), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम+) और विस्तारित एशियान समुद्री फोरम (ईएएमएफ) जैसे कई क्षेत्रीय मंचों में भी सक्रिय भागीदार है।

    आसियान देशो व भारत के बीच में एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत विदेशी संबंधों को मजबूती प्रदान की जाती है। भारत साल 1992 में आसियान का क्षेत्रीय साझेदार, साल 1996 में संवाद साझेदार और 2002 में शिखर सम्मेलन स्तर का साझेदार बना।

    आसियान का मिशनः भारत ने आसियन देश व पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के साथ अलग-अलग मिशन स्थापित किया है। ये मिशन जकार्ता में अप्रैल 2015 में बनाए गए। जिसमें आसियान के साथ सशक्त संबंधों को स्थापित करके हमेशा बनाए रखना शामिल है।

    आसियान-भारत वार्ता संबंधों की 25वीं वर्षगांठ: भारत व आसियान के बीच में वार्ता संबंधों को 25 साल पूरे हो गए है। इस अवसर पर 25 जनवरी 2018 को भारत व आसियन के बीच में “साझा मूल्य, साझा भाग्य” विषय पर एक स्मारक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में पीएम मोदी व अन्य देशो के प्रमुखों ने समुद्री व्यापारों को बढ़ाने व आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने पर सहमति जताई। अन्य घटनाओं में युवा समिट और कनेक्टिविटी समिट को भी आयोजित किया गया। भारत व आसियान के बीच में 25 साल पूरे होने पर अकादमिक सम्मेलनों, व्यावसायिक आयोजनों और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन किया गया है।

    साल 2012 में आसियान-भारत ने 20-21 दिसंबर 2012 को ‘आसियान-भारत साझेदारी शांति और साझा समृद्धि’ विषय के अंतर्गत नई दिल्ली में 20 साल की संवाद साझेदारी व 10 साल की समिट स्तर की साझेदारी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें 10 आसियान देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान नेताओं ने आसियान-भारत सहयोग संबंधों के भविष्य के बारे में चर्चा की थी। इस अवसर पर आसियान-भारत कार रैली व आईएनएस सुदर्शशिन का शिपिंग अभियान  भी चलाया गया था।

    प्लान ऑफ एक्शन (पीओए): आसियान-भारत के बीच में शांति, सहयोग व साझा समृद्धि को बढाने के लिए दीर्घकालिक आसियान-भारत की भागीदारी के लिए रोडमैप पर हस्ताक्षर किए गए थे। तीसरी पीओए (2016-20) को अगस्त 2015 में आसियान-भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक द्वारा अपनाया गया था। इस समयावधि में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है।

    राजनीतिक सुरक्षा सहयोग: आसियान-भारत के बीच में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए राजनीतिक सुरक्षा सहयोग पर भी बल दिया जाता है। हिंसा को रोकने, आतंकवाद व चरमपंथी के खात्मे के लिए आसियान के साथ भारत की साझेदारी को बढ़ाया जाता है। आसियान सुरक्षा वार्ता के लिए मुख्य मंच आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) है। गौरतलब है कि भारत साल 1996 से इस मंच की बैठक मे सक्रियता के साथ भाग ले रहा है। आसियान में सर्वोच्च रक्षा सलाहकार और सहकारी तंत्र आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक होती है।

    आर्थिक सहयोगः आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। आसियान के साथ भारत का व्यापार साल 2016-17 में बढ़कर 70 अरब डॉलर का हो गया है। जबकि 2015-16 में यह 65 अरब डॉलर था। भारत-आसियान के बीच में व्यापार और निवेश संबंध तेजी से बढ़ रहे है। आसियान देशों व भारत के बीच में 12.5 प्रतिशत निवेश प्रवाह साल 2000 से बढ़ चुका है। अप्रैल 2000 से लेकर अगस्त 2017 के बीच आसियान से भारत में एफडीआई का प्रवाह 514.73 बिलियन अमरीकी डॉलर था। आसियान व भारत के बीच में जुलाई 2015 को मुक्त व्यापार क्षेत्र पर समझौता हुआ था। आसियान और भारत भी निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर काम कर रहे है। मार्च 2003 में एशियाई भारत-बिजनेस काउंसिल (एआईबीसी) की स्थापना कुआलालंपुर में निजी क्षेत्र के तौर पर की गई थी।

    सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग: आसियान-भारत के बीच लोगों का संपर्क बढाने को लेकर बड़ी संख्या में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। छात्र विनिमय कार्यक्रम, आसियान राजनयिकों के लिए विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्यम से आसियन-भारत के बीच में सांस्कृतिक व सामाजिक सहयोग बढ़ता है। हर साल भारत में आसियान छात्रों को आमंत्रित करना , नेशनल चिल्ड्रेन्स साइंस कांग्रेस में आसियान छात्रों की भागीदारी और आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक के माध्यम से सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। युवा शिखर सम्मेलन, कलाकार शिविर और संगीत जैसे युवा केंद्रित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है।

    कनेक्टिविटीः आसियान-भारत कनेक्टिविटी दोनों पक्षों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आसियान संपर्क समन्वय समिति का तीसरा संवाद साझेदार भारत साल 2013 में बना था। आसियान और भारत के बीच समुद्री और हवाई क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाने व कनेक्टिविटी संबंधी मुद्दों पर चर्चा चल रही है। भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग में भारत ने काफी प्रगति की है। भारत, म्यांमार और थाईलैंड को आपस में जोड़ने वाली सड़कों के साथ यात्रियों व कार्गो को जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। प्रधानमंत्री ने भारत और आसियान के बीच शारीरिक और डिजिटल कनेक्टिविटी का समर्थन करने वाली परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए करोडों का फंड निवेश करने की मंजूरी दी है। दिसंबर 2017 में भारत ने आसियान के साथ कनेक्टिविटी समिट का आयोजन किया था।

    फंड: आसियान बहुपक्षीय प्रभाग आसियान देशों को परियोजना आधारित वित्तीय सहायता प्रदान करता है। निम्न फंडो से आसियान देशों को वित्त प्रदान किया जाता हैः

    आसियान-भारत सहयोग निधि: साल 2009 में आयोजित 7 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत सहयोग निधि के रूप में भारत ने 50 मिलियन डॉलर का फंड बनाने का समर्थन किया है। इसके तहत आसियान-भारत सहयोग को मजबूत बनाने और बढ़ाने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों में इस फंड का प्रयोग किया जाएगा।

    आसियान-भारत एस एंड टी विकास फंड: सिंगापुर में नवंबर 2007 में 6 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष की स्थापना की घोषणा की थी। जिसमें भारत ने संयुक्त रूप से 1 करोड़ डॉलर का योगदान दिया था। इस फंड को साल 2016-17 में 5 मिलियन डॉलर तक बढ़ाया गया।

    आसियान-भारत ग्रीन फंड: सिंगापुर में नवंबर 2007 में 6 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने आसियान- भारत ग्रीन कोष की स्थापना की घोषणा की। इस फंड का उपयोग पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ प्रौद्योगिकियां, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण शिक्षा के लिए किया जाता है।

    आसियान-भारत परियोजनाएं: आसियान-भारत मिलकर कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, मानव संसाधन विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन, लोगों के क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से सहयोग कर रहे है। इन सभी क्षेत्रों में आसियान-भारत की प्रमुख परियोजनाएं चलाई जा रही है। सीएलएमवी देशों में सॉफ्टवेयर विकास, स्पेस प्रोजेक्ट, वियतनाम में ट्रैकिंग, डाटा रिसेप्शन से संबंधित परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। भारत में उच्च कृषि शिक्षा के लिए आसियान-भारत फैलोशिप और कृषि वैज्ञानिकों का एक्सचेंज, सहकारिता के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण, फलों के लिए जैविक प्रमाणन पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सहित कई योजनाए चलाई जा रही है।

    दिल्ली संवादः भारत का वार्षिक ट्रैक 1.5 कार्यक्रम दिल्ली संवाद आसियान और भारत के बीच राजनीतिक-सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए है। दिल्ली संवाद का 9 वां संस्करण भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा 4-5 जुलाई 2017 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

    आसियान-भारत केंद्र (एआईसी): साल 2012 में आयोजित स्मारक शिखर सम्मेलन में, सरकार के प्रमुखों ने आसियान-भारत केंद्र (एआईसी) की स्थापना के लिए नीति अनुसंधान, वकालत और भारत व एशिया में संगठनों और थिंक टैंकों के साथ नेटवर्किंग गतिविधियों की स्थापना की सिफारिश की। एआईसी ने आसियान-भारत सामरिक साझेदारी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों का आयोजन भी किया है। आसियान-भारत सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक सूचनाओं, डेटा संसाधनों और निरंतर संपर्क, प्रदान करने के उद्देश्य से एआईसी काम कर रहा है।