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    भारत आसियान

    फिलीपीन्स की राजधानी में आसियान शिखर सम्मेलन चल रहा है। आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का समूह है। शुरूआत में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर व थाइलैंड ने मिलकर 1967 में आसियान का गठन किया था।

    बाद में अन्य देश भी इसमें शामिल हुए। इस साल 2017 में आसियान ने अपने गठन के पचास साल पूरे कर लिये है और मंगलवार को आसियान का 31 वां शिखर सम्मेलन भी समाप्त हो रहा है।

    आसियान में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शिरकत की। वहां पर मोदी कई देशों के दिग्गजों से मिले। भारत आसियान का सदस्य नहीं है लेकिन फिर भी वह बीते 25 सालों से आसियान देशों के साथ बातचीत कर रहा है।

    आसियान में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण

    वर्तमान में भारत की भूमिका आसियान मे काफी महत्वपूर्ण है। आसियान में शामिल सदस्य देशों के अलावा भी अन्य देश भी भारत की भूमिका को महत्ता दे रहे है। आसियान में भारत के अलावा अमेरिका, जापानचीन जैसे बड़े देश भी इसके सदस्य नहीं है लेकिन ये देश आसियान में काफी रूचि रखते है।

    भारत का आसियान में धीरे-धीरे दबदबा बन रहा है। भारत की धाक को अन्य देश भी स्वीकारने लगे है। दरअसल भारत व आसियान देशों के बीच में पिछले कई सालों से व्यापार हो रहा है। इन देशों के साथ व्यापार की वजह से भारत के साथ दोस्ती भी बढ़ी है। साथ ही समुद्री सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।

    आसियान व भारत के बीच में ज्यादातर व्यापार समुद्री रास्तों के वजह से होता है। इन समुद्री इलाकों को अब एशिया-प्रशांत की जगह भारत-प्रशांत क्षेत्र कहा जाने लगा है। ये नाम अमेरिका की तरफ से दिया गया है। जिससे भारत को विश्वस्तर पर पहचान मिल रही है।

    अमेरिका कर रहा भारत का समर्थन

    आसियान में भारत को लगातार शामिल होने के लिए निमंत्रण मिल रहा है। भारत व अमेरिका के अलावा चीन भी आसियान में दिलचस्पी लेने लगा है। जिस वजह अमेरिका का दबदबा कम हो रहा है।

    इसी कारण अमेरिका, भारत को आगे करके चीन को घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। पिछले कुछ समय से देखा गया है कि अमेरिका की तरफ से भारत का समर्थन लगातार किया जा रहा है।

    आसियान देश काफी हद तक व्यापार के लिए चीन पर निर्भर है। इसलिए चीन को आसियान में बुलाया जाता है। वहीं आसियान के ज्यादातर देशों का चीन के साथ व्यापार दक्षिणी चीन सागर के रास्ते होता है।

    दक्षिणी चीन सागर मुद्दा है प्रमुख वजह

    इस सागर पर चीन अपना हक जताता है वहीं आसियान देश अपना अधिकार जमाते है। लेकिन चीन दक्षिणी चीन सागर मुद्दे को आसियान सम्मेलन में उठाने नहीं देता है।

    वहीं भारत व आसियान देशों के बीच व्यापार भी दक्षिणी चीन सागर के रास्ते से होता है। इस वजह से इस सागर के विवाद में भारत की भी अहम भूमिका बन जाती है।

    इस सागर पर अमेरिका भी चीन का विरोध कर रहा है। चीन अपने व्यापारिक फायदे के लिए इस पर नियंत्रण करने की कोशिश मे लगा हुआ है जिसका आसियान में शामिल देश विरोध करते है।

    अब आसियान देशों की निगाहें भारत पर टिकी हुई है। इन देशों की उम्मीद है कि भारत दक्षिणी चीन सागर विवाद पर चीन को घेरने में हमारी मदद करेगा।

    हाल ही में चल रहे आसियान सम्मेलन के दौरान भारत, जापान, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के बीच में अलग से दक्षिणी चीन सागर मुद्दे को लेकर चतुष्कोणीय बैठक सम्पन्न हुई थी।