77 वर्षीय दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख ने 70 के दशक में सिल्वर स्क्रीन पर राज किया था। ‘कटी पतंग’, ‘तीसरी मंज़िल’, ‘दिल देके देखो’ से लेकर ‘घूँघट’, ‘छाया’ और ‘मेरी सूरत तेरी आँखें’ तक, अभिनेत्री की फ़िल्मोग्राफी सिनेमा के प्रति उनकी बहुमुखी प्रतिभा और प्रेम का प्रमाण है। अब हम सभी जानते हैं कि आशा पारेख ने अपना सारा जीवन अकेले ही व्यतीत किया है और वह गर्व से कहती हैं वह सिंगल होकर बहुत खुश हैं।
अपनी आत्मकथा ‘द हिट गर्ल’ में, आशा पारेख, जो अपने पूरे जीवन और अपने समय की सबसे अधिक कमाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थी, ने इस बारे में बात की कि वह कैसे निर्देशक नासिर हुसैन के प्यार में पड़ गयी थी, लेकिन चूँकि वह शादीशुदा थे, इसलिए आशा जी ने अकेले रहना चुना। पत्रिका से बात करते हुए, आशा ने कहा, “जितना मैं उनसे (नासिर हुसैन) प्यार करती थी, मैं कभी भी उनके परिवार को तोड़ने और उनके बच्चों को चोट पहुंचाने का सोच भी नहीं सकती थी। अपने आप में रहना इससे कई ज्यादा सरल और संतोषजनक था।”
अपने कठिन समय के दौरान, अभिनेत्री ने कहा कि वे उनकी सहेलियाँ थीं, जो उनके अच्छे बुरे समय में उनके साथ खड़ी रही और उन्हें वापस ज़िन्दगी में लेकर आई। उनके मुताबिक, “मेरे दोस्त के कारण मेरा मानसिक स्वास्थ्य ठीक गया और मैं अवसाद से लड़ पाई। शम्मीजी पिछले साल निधन से पहले तक हमेशा मेरे साथ थे।” आशा पारेख और नासिर ने ‘दिल देके देखो’ में साथ काम किया था।
आशा जी ने बताया कि कैसे वह अमेरिका में एक प्रोफेसर से शादी करने के करीब थीं लेकिन बाद में, उन्हें पता चला कि उस आदमी की पहले से ही एक प्रेमिका थी। साक्षात्कार में, आशा पारेख ने कहा कि उस व्यक्ति ने एक रात एक कैफे में उन्हें ये बात बताई। उन्होंने कहा-“वह मेरी ओर मुखातिब हुआ और उसने कहा, ‘मेरी एक प्रेमिका है और तुम रास्ते में आ गयी हो’। इसने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया था। एक तरह से, इस पूरे विवाह व्यवसाय में मेरे लिए वह अंतिम तिनका था।”
खैर, दिन और उम्र के बावजूद जिसमे वह रही, आशा पारेख का मानना था कि आत्म-सम्मान समाज के मानकों से अधिक महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि, वह कभी भी सामाजिक दबावों के आगे नहीं झुकी और उनके विचार और विचारधाराएं ही हैं जो हम में से कई को प्रेरित करते रहते हैं।