सरकार ने आधार के बाद अब आवासीय और पेशेवर पते को भी डिजिटल करने का आदेश दे दिया है। संचार मंत्रालय के अधीन डाक विभाग को इस पायलट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 6 डिजिट वाले इस अल्फ़ान्यूमेरिक ई-अड्रेस के जरिए मालिकाना हक, प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड, बिजली, पानी और गैस आदि की जानकारी से लेकर अन्य सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने में भी आसानी होगी।
ई-लोकेशन के मुख्य बिंदु
- ई-लोकेशन के तहत व्यवहारिक पते को डिजिटल पहचान दी जाएगी जैसे 155, पॉकेट एक्स एक्स, 5ए, जयपुर
- यह डिजटल पता 6 डिजिट में उपलब्ध होगा, जैसे 8जीडीटीवाईएक्स आदि।
- इस पायलट प्रोजेक्ट को पोस्टल डिपार्टमेंट ने अभी केवल दो शहरों दिल्ली और नोएडा के लिए पिनकोड उपलब्ध कराया है।
- पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसका विस्तार देशभर के अन्य शहरों में भी किया जाएगा।
- ई-लोकेशन का इस्तेमाल मौजूदा पोस्टल अड्रेस के लिए भी किया जा सकेगा।
डाक विभाग ने इस पायलट प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी कंपनी ‘मैप माई इंडिया’ को दी है। अतिरिक्त निर्देशक-जनरल (मेल ऑपरेशन्स) अभिषेक कुमार सिंह के हस्ताक्षरित पत्र को 27 सितंबर 2017 को मैप माई इंडिया को भेज दिया गया। डाक विभाग के द्वारा दी गई जानकारियों के अनुरूप डिजिटल एड्रेस फॉर्मेट को विकसित किया जाएगा।
इस डिजिटल एड्रेस का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी परियोजनाओं में भी किया जा सकेगा। हांलाकि इस डिजिटल एड्रेस की जानकारी केवल डाकविभाग के पास ही होगी, इसका इस्तेमाल निजी कंपनियां नहीं कर सकेंगी। मैप माई इंडिया के एमडी राकेश वर्मा का कहना है कि ई—लोकेशन के जरिए जटिल से जटिल पते को भी पहचानने में आसानी होगी। इस डिजीटल पते के जरिए अन्य सुविधाओं और सेवाओं से जोड़ा जा सकेगा।
हम आप सब इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि देश के कई हिस्से ऐसे हैं, जिनका अड्रेस प्राप्त करना कितना दुष्कर कार्य होता है। ई-लोकेशन के जरिए यात्री अपने गंतव्य स्थल तक सटीक और तेजी से पहुंच सकेंगे। वर्मा ने कहा कि इस सिस्टम के जरिए ई-कॉमर्स, परिवहन, रसद और फील्ड ऑपरेशंस डोमेन जैसे कारोबारों में समय, पैसा, ईंधन की बर्बादी कम हो जाएगी।
डाक विभाग की ओर से जारी पत्र में इस बात की जानकारी दी गई है कि इस पायलट प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य डिजिटल अड्रेस के जरिए लोगों के पते को आसान बनाना है। मैप माई इंडिया इस पायलट प्रोजेक्ट में डेटा की मदद डाक विभाग से लेगा। कंपनी मैप माई इंडिया की ओर से जारी एक बयान में दावा किया गया है कि इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में करीब 2 करोड़ से अधिक ई-लोकेशन होंगे, जिसमें व्यक्तिगत, व्यवसायिक और सरकारी संस्थान शामिल होंगे।
कंपनी ने बताया कि डिजिटल अड्रेस की प्रकिया शुरू हो चुकी है। कंपनी ने इसके लिए डाक विभाग के जरिए डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। कंपनी मैप माई इंडिया ने अपने बयान में कहा है कि इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए वो इसरो तथा नेशनल सैटलाइट इमेजरी सर्विस ‘भुवन’ की मदद लेगी, ताकि डिजिटल अड्रेस की मैपिंग को प्रभावी बनाया जा सके।