मुंबई, 10 मई (आईएएनएस)| दुनियाभर में बढ़ते संरक्षणवाद, वैश्विक मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाए जाने और घरेलू मुद्रा में अस्थिरता के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि कर सकता है। ऐसा अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का अनुमान है।
उनकी राय में विविध विदेशी मुद्राओं और आरक्षित परिसंपत्तियों की जरूरतों को लेकर भी आरबीआई अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि करेगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रवृत्ति को लेकर ही केंद्रीय बैंक का स्वर्ण भंडार बढ़कर 608.8 टन हो गया है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा स्वर्ण भंडार वाले केंद्रीय बैंकों की सूची में आरबीआई 11वें पायदान पर है। सबसे ज्यादा स्वर्ण भंडार 8,133.50 टन अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पास है। इसके बाद जर्मनी के केंद्रीय बैंक के पास 3,369.70 टन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास 2,814 टन, इटली के केंद्रीय बैंक के पास 2,451.80 टन, फ्रांस के पास 2,436 टन और रूस के पास 2,168.3 टन सोना है।
डब्ल्यूजीसी में मार्केट इंटेलीजेंस मामलों के निदेशक एलिस्टेयर हेविट ने कहा, ” मौजूदा व्यापारिक तनाव और सुस्त आर्थिक विकास दर के कारण सोने के प्रति आकर्षण बना रहेगा।”
भारत का पूंजी भंडार 26 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान 4.368 अरब डॉलर बढ़कर 418.515 अरब डॉलर हो गया। विदेशी पूंजी भंडार में स्वर्ण भंडार का भी अहम योगदान होता है।
कोटक सिक्योरिटीज के मुद्रा व ब्याज दर मामलों के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनिंद्य बनर्जी के अनुसार, आरबीआई अपनी आरक्षित निधि का 5-6 फीसदी स्वर्ण भंडार बनाए रखता है और केंद्रीय बैंक के स्वर्ण भंडार में इजाफा हुआ है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ कमोडिटी एनालिस्ट तपन पटेल ने कहा कि स्वर्णभंडार में वृद्धि होने से विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ने पर डॉलर की कमी करके देसी मुद्रा की अस्थिरता दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा, “व्यापारिक जंग के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के माहौल, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड के नरम रुख और ब्याज दरों में कमी के कारण आरबीआई सोने की खरीदारी बढ़ा सकता है।”