भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैठक करते हुए अक्टूबर की मौद्रिक नीति के तहत अपने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था।
इसी के ठीक बाद सेंसेक्स को 792 अंकों का नुकसान उठाना पड़ा, जिसकी वजह से बाज़ार में निवेशकों के करीब 3.8 लाख रुपये डूब गए।
वहीं आरबीआई के इस फैसले के ठीक बाद रुपये ने अपना बनाया न्यूनतम रिकॉर्ड बना डाला, जिसके बाद रुपया 74 रुपये प्रति डॉलर की दर को भी पार कर गया।
बाज़ार को शुक्रवार की सुबह यह उम्मीद थी कि होने वाली बैठक के बाद आरबीआई अपने रेपो रेट में कम से कम 0.25 प्रतिशत कि बढ़ोतरी करेगी।
इसी के साथ अमेरिका के द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से बाज़ार के साथ ही देश कि अर्थव्यवस्था भी को दबाव झेलना पड़ रहा है।
ऐसे में आरबीआई द्वारा दरों को बढ़ा दिया जाता तो संभव था कि देश घरेलू कर्जे में डूबने लगता तथा इसी के साथ अंतराष्ट्रीय बाज़ार में बढ़ती तेल कि कीमतों के साथ ही मुद्रप्रसार भी बढ़ जाता।
आरबीआई गवर्नर ने आरबीआई की बैठक के बाद बयान दे कर कहा था कि आरबीआई का लक्ष्य सबसे पहले मुद्रा प्रसार को रोकना है।
तेज़ी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, फिलीपींस और तुर्की आदि देशों ने डॉलर के मुक़ाबले अपनी कमजोर होती मुद्रा को स्थिर करने के लिए अपनी दरों में इजाफा कर दिया था।
वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने अभी स्थिति को भापने का निर्णय लिया है।