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    अरुण जेटली

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार आरबीआई के रिज़र्व से अधिशेष की मांग सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लक्षय से नहीं कर रही है। बल्कि, सरकार इस अधिशेष को गरीबी निवारण की योजनाओ में एवं राजकीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में लगाना चाहती है।

    लोक सभा में अरुण जेटली का सम्बोधन :

    लोकसभा में अनुपूरक मांगों के दूसरे बैच पर डिबेट का जवाब देते हुए अरुण जेटली ने कहा की सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि रिज़र्व के अधिशेष का प्रयोग गरीबी के निवारण एवं राजकीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में लगाना चाहती है।

    उन्होंने यह भी कहा की आरबीआई के पास 28 प्रतिशत का रिजर्व था एवं विशेषज्ञ कमेटी इस पर फैसला करेगी की यह राशि पर्याप्त है या उससे ज़्यादा है। यदि ज़्यादा है तो अधिशेष धन का उपयोग गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के वित्तपोषण और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए किया जाएगा।

     मोदी सरकार को सराहा :

    इस सम्बोधन के दौरान अरुण जेटली ने मोदी सरकार की सराहना की एवं बताय की उन्हें राजस्व घाटे को भरने के लिए कोष से अधिशेष की ज़रुरत नहीं है। मोदी सरकार के पास राजकोषीय घाटे को कम रखने का सबसे अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है।

    उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम किया है और मुद्रास्फीति और चालू खाते की कमी (सीएडी) को नियंत्रण में रखा है, इसके साथ ही भारत ने पांच साल से सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग बरकरार रखा है। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ही भारत चीन के मुकाबले दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था।

    गिनवाई जीएसटी की उपलब्धियां :

    जीएसटी के सन्दर्भ में अरुण जेटली बोले “विमुद्रीकरण और जीएसटी ने कर आधार बढ़ाने और गरीबी उन्मूलन और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के लिए अधिक धन आवंटित करने में मदद की है। संप्रग शासन के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 3.8 करोड़ से बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई है।

    उन्होंने कहा कि जब एनडीए सरकार 2019 में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी तो यह संख्या 3.83 करोड़ तक पहुँचने के आसार हैं।

    क्या है आरबीआई रिज़र्व का मुद्दा:

    कुछ समय पहले अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए आरबीआई के 23वे गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन सूत्रों से पता चला था की इसमें कोई व्यक्तिगत कारण नहीं था। उन्होंने यह इस्तीफा उनके एवं सरकार के बीच हुए मतभेद के चलते दिया था। मतभेद मुख्यतः रिज़र्व से अधिशेष की बात पर गवर्नर की असहमति मानी जा रही थी एवं तथाकथित सरकार द्वारा केंद्रीय  दबाव की बात मानी जा रही थी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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